दिग्गज निर्माता और सिनेमैटोग्राफर गंगू रामसे नहीं रहे, लंबे समय से थे बीमार
क्या है खबर?
बॉलीवुड से एक बुरी खबर सामने आ रही है। दरअसल, जाने-माने फिल्म निर्माता और सिनेमैटोग्राफर नहीं रहे। उन्होंने 83 की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गंगू लंबे समय से बीमार चल रहे थे। हालांकि, बीते 1 माह से उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं ज्यादा बढ़ गई थीं।
उनके जाने से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर है, वहीं सोशल मीडिया पर गंगू के प्रशंसक भी इस खबर से सदमे में हैं।
फिल्मेंे
50 से ज्यादा फिल्मों में की सिनेमैटोग्राफी
गंगू चर्चित रामसे ब्रदर्स में से एक प्रसिद्ध सिनेमैटोग्राफर और फिल्म निर्माता एफ.यू. रामसे के दूसरे बड़े बेटे थे।
पिता की ही तरह गंगू भी एक बेहतरीन सिनेमैटोग्राफर थे, जिन्होंने सिने जगत में अपनी गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने रामसे ब्रदर्स के बैनर तले 50 से ज्यादा फिल्मों में सिनेमैटोग्राफी की।
इनमें 'वीराना', 'पुराना मंदिर' और 'बंद दरवाजा', 'दो गज जमीन के नीचे', 'सामरी', 'तहखाना', 'पुरानी हवेली' और 'ऋषि कपूर' के साथ 'खोज' जैसी शानदार फिल्में शामिल हैं।
छाप
फिल्मों के साथ टीवी जगत में भी बनाई पहचान
गंगू ने सैफ अली खान की पहली फिल्म 'आशिक आवारा' के लिए भी काम किया। इसके अलावा उन्होंने अक्षय कुमार के साथ 'खिलाड़ियों का खिलाड़ी', 'सबसे बड़ा खिलाड़ी' और 'मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी' जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया।
गंगू ने टीवी जगत में भी अपनी खास पहचान बनाई थी। ZEE के हॉरर शो के साथ उन्होंने 8 साल से अधिक समय तक काम किया। इसके अलावा उन्होंने टीवी सीरीज 'सैटरडे सस्पेंस', 'नागिन' और 'जिम्बों' के लिए भी काम किया।
दुखद
2021 में बड़े भाई कुमार रामसे ने छोड़ी दुनिया
70 के दशक से 90 के दशक तक कई हॉरर फिल्मों का निर्माण करने के लिए जाने जानेवाले 'रामसे बद्रर्स' के 7 भाइयों में से एक और भाई कुमार रामसे का निधन 2021 में मुंबई में हुआ था।
'राम ब्रदर्स' के बैनर तले हॉरर फिल्में बनाने वाले 5 भाई तुलसी, श्याम, केशू, किरण और अर्जुन रामसे का पहले ही निधन हो चुका था। अब इन भाइयों में से सबसे छोटे गंगू ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया है।
परिचय
रामसे ब्रदर्स का इतिहास
रामसे ब्रदर्स का ताल्लुक कराची से था, जहां उनके पिता फतेहचंद यू रामसिंघानी एक दुकान चलाते थे।
भारत-पाक विभाजन के बाद मुंबई में स्थानांतरित होने के बाद, उन्होंने फिल्म निर्माण में शामिल होने का फैसला किया।
रामसिंघानी ने जल्द ही रामसे की उपाधि धारण कर ली।
'शहीद-ए-आजम भगत सिंह', 'रुस्तम सोहराब' जैसी फिल्मों की सफलता के बाद रामसिंघानी ने सभी 7 बेटों को फिल्म निर्माण व्यवसाय में लगा दिया। इसके बाद उनकी कंपनी का काम 7 भाइयों में बंट गया।