गुनीत मोंगा ने महिला होने के कारण नहीं, बल्कि इस कारण किया भेदभाव का सामना
क्या है खबर?
निर्माता गुनीत मोंगा ने इस साल मार्च में अपनी शॉर्ट फिल्म डॉक्युमेंटरी 'द एलेफैंट विस्परर्स' के लिए ऑस्कर जीत के इतिहास रच दिया था। इसके बाद वह देश की न सिर्फ महिलाओं बल्कि सभी युवा निर्माताओं के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं।
2008 में उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस सिख्या एंटरटेनमेंट शुरू किया था।
आमतौर पर महिलाओं की प्रतिभा पर लोग शक की नजरों से देखते हैं। हालांकि, गुनीत ने बताया कि उनकी चुनौती कुछ और ही थी।
खबर
उम्र की वजह से किया मुश्किलों का सामना
PTI से बातचीत में उन्होंने अपने साथ होने वाले भेदभाव पर बात की।
उन्होंने बताया कि उनके काम को लेकर लोगों के मन में संदेह होता था, लेकिन यह उनके 'महिला निर्माता' होने के कारण नहीं, बल्कि 'युवा निर्माता' होने के कारण था।
उम्र की वजह से उन्हें कई सवालों का सामना करना पड़ा।
गुनीत ने कहा, "मैं यहां काम कर रही हूं और मुझे उम्मीद है कि मेरा सफर युवा निर्माताओं को प्रेरित करेगा।"
सवाल
बड़ी उम्र की दिखना चाहती थीं गुनीत
गुनीत ने कहा, "मैं अपने बाल सफेद रंग लेती थी, साड़ी पहनती थी और दुआ करती थी कि मुझे चश्मा लग जाए, जो अब मुझे लग गया है। आपको बहुत सारे पैसों का काम संभालना पड़ता है। ऐसे में लोग आपको एक चश्मे ये देखते हैं कि यह छोटी है, क्या यह संभाल पाएगी। मैं 26 साल की थी, जब मैंने गैंग्स ऑफ वासेपुर का निर्माण किया था। इस तरह के सवाल हमेशा होते थे।"
सिख्या एंटरटेनमेंट
इन फिल्मों का निर्माण कर चुकी हैं गुनीत
2006 में मुबंई आने के बाद फिल्म निर्माता गुनीत ने सलाम इंडिया (2007) से अपना करियर शुरू किया था। 2008 में उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस सिख्या एंटरटनेमेंट शुरू किया।
सिख्या एंटरटेनमेंट ने बॉलीवुड में 'मसान', 'द लंचबॉक्स', 'पगलैट', 'हरामखोर', 'कटहल' जैसी फिल्मों का निर्माण किया है।
गुनीत की फिल्में अपने कंटेंट और लाजवाब सिनेमाई तत्वों के लिए पसंद की जाती हैं। ऑस्कर जीतने के बाद उन्होंने अपना परचम दुनियाभर में लहरा दिया है।
द एलेफैंट विस्परर्स
'द एलेफैंट विस्परर्स' के लिए जीता ऑस्कर
मार्च ने गुनीत ने 'द एलेफैंट विसपरर्स' के लिए ऑस्कर जीता था। उन्होंने निर्देशक कार्तिकी गोनसाल्वेस के साथ इसे प्राप्त किया था।
यह तमिलनाडु के एक बुजुर्ग दंपत्ति बमन और बेली की कहानी है, जो दक्षिण भारत के मडुमलई नैशनल पार्क में अनाथ हाथियों की सेवा करता है। उन्हें रघु नाम के एक घायल और अनाथ हाथी के बच्चे की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, जिसको बचाने के लिए वे हर संभव कोशिश करते हैं।
यह डॉक्युमेंट्री नेटफ्लिक्स पर मौजूद है।