आयुष्मान खुराना अब निभाना चाहते हैं पौराणिक किरदार, बताई अपनी खूबी
क्या है खबर?
पिछले कुछ सालों में पौराणिक कहानियों पर खूब फिल्में बनी हैं। VFX और आधुनिक तकनीक के दौर में ये फिल्में खूब चर्चा में रहीं। पौराणिक कहानियों पर आधारित अधिकांश फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर भी बेहतरीन कमाई की।
अब आयुष्मान खुराना ने बड़े पर्दे पर पौराणिक किरदार निभाने की इच्छा जताई है। अपने लीक से हटकर किरदारों के लिए पहचाने जाने वाले अभिनेता ने पौराणिक किरदार के लिए अपनी मजबूतियां भी बताईं।
खबर
आयुष्मान ने जताई पौराणिक किरदार कि इच्छा
ई टाइम्स से बातचीत में आयुष्मान ने कहा, "मैं किसी दिन पौराणिक किरदार निभाना पसंद करूंगा। रंगमंच की पृष्ठभूमि से आने के कारण मेरी भाषा मेरा मजबूत बिंदु है। मैं हिंदी में सोचता हूं। चंडीगढ़ के लड़के के लिए शुद्ध हिंदी में बात करना मुश्किल है, लेकिन शुक्र है मेरे परिवार में बहुत सी हिंदी किताबें, कविताएं और शायरियां पढ़ी जाती थीं। मैंने मुंशी प्रेमचंद और हरिवंश राय बच्चन को पढ़ा है। मैं पौराणिक किरदार निभाने के लिए बेसब्र हूं।"
अश्वत्थामा
'अश्वत्थामा' बन चुके हैं आयुष्मान
किरदारों के बारे में आयुष्मान ने बताया, "आपको जानकर हैरानी होगी कि कॉलेज में मैंने अश्वत्थामा का किरदार निभाया था। हमने धर्मवीर भारती का 'अंधा युग' नाटक किया था। यह हिंदी का एक लोकप्रिय नाटक है। मुझे इसमें अश्वत्थामा के किरदार के लिए बहुत सारे पुरस्कार मिले। मैं कृष्ण या अर्जुन की भूमिका भी निभाना चाहूंगा।"
आयुष्मान अब तक पर्दे पर लीक से हटकर आधुनिका किरदार निभाते आए हैं। ऐसे में उनका पौराणिक किरदार दर्शकों के लिए दिलचस्प होगा।
स्क्रिप्ट
फिल्मों को लेकर बदली आयुष्मान की राय?
भले ही आयुष्मान ने अब तक सामाजिक संदेश देने वाली कई फिल्में की हैं, लेकिन अब उनका मानना है कि सिनेमाघरों में आने वाली फिल्में पारिवारिक मनोरंजन के लिए होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, "इस वक्त मुझे लगता है कि सिनेमाघरों के लिए आपको दर्शकों से जुड़ना भी चाहिए। फिल्मों का विषय बिल्कुल अलग-थलग नहीं हो सकता है। आपको ऐसी सक्रिप्ट चुननी होगी, जो बड़ी संंख्या में दर्शकों को जोड़ सके।"
AI
AI नहीं ले सकता लेखकों की जगह- आयुष्मान
अभिनेता के साथ ही आयुष्मान बेहतरीन गायक भी हैं। संगीत जगत में AI के जरिए होने वाले आवाज के इस्तेमाल पर उन्होंने अपनी राय दी।
उन्होंने कहा, "यह डरावना है, लेकिन सिर्फ एक हद तक, क्योंकि इसमें आत्मा नहीं होती है। मैं AI का इस्तेमाल करने की कोशिश की थी। मैंने इससे गुलजार साहब, जावेद अख्तर साहब, गालिब की तरह लिखने की कोशिश की थी। उसमें व्याकरण ठीक हो सकता है, लेकिन उसमें आत्मा नहीं होती है।"
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
लोग आयुष्मान की गायकी के भी दीवाने हैं। उन्होंने 'पानी दा रंग', 'नज्म नज्म', 'मिट्टी दी खुशबू', 'साड्डी गली आ जा' जैसे गानों से लोगों का दिल छुआ है। पर्दे पर आने से पहले वह रेडियो जॉकी के तौर पर काम करते थे।