उत्तर प्रदेश: अब अंग्रेजी माध्यम में पढ़ेंगे मदरसे के बच्चे, स्मार्ट क्लास में होगी पढ़ाई

गुरुवार को उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की बैठक हुई जिसमें बताया गया कि आने वाले दिनों में यह बोर्ड कई तरह की योजना बना रहा है। बोर्ड के सदस्य कमर अली के अनुसार मदरसा बोर्ड की बैठक में दर्जन भर से ज्यादा प्रस्ताव रखे गए थे। इस दौरान मदरसों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कराए जाने का प्रस्ताव रखा गया है और मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत स्मार्ट क्लास, ई-बुक, ई-लाइब्रेरी जैसी सुविधाओं के विकास पर भी जोर दिया गया।
मदरसा बोर्ड के सदस्य कमर अली ने कहा कि वे सरकारी अनुदानित मदरसों से यह प्रस्ताव मांगेंगे और अगर कोई मदरसा संचालक अंग्रेजी माध्यम का मदरसा चलाना चाहे तो मदरसा बोर्ड ऐसे मदरसों को चलाने की अनुमति देगा। बोर्ड के रजिस्ट्रार एसएन पांडेय ने मीडिया को बताया कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा के साथ ही आयोजित कराने की तैयारी है और आने वाले समय में बोर्ड इसके टाइम टेबल की घोषणा करेगा।
मदरसा बोर्ड से अनुमति मिलने के बाद मदरसे के संचालक केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) या काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) से मान्यता लेकर मदरसे को संचालित कर सकते हैं। इस तरह संचालित होने वाले मदरसों का खर्च भी सरकार वहन करेगी। इससे मदरसों में पढ़ने वाले कमजोर तबके के बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। इसके साथ ही मदरसों में पढ़ाने वाले अध्यापकों का खर्च भी सरकार ही उठाएगी।
प्राइवेट मदरसों के संचालक मदरसा बोर्ड द्वारा की गयी इस पहल को एक बेहतर कोशिश बता रहे हैं। दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने न्यूज 18 से कहा, "इससे पहले भी सरकार की कई योजनाएं मदरसों में लागू हुई थी जिनमें मदरसा आधुनिकीकरण, मदरसों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबों को लागू किया जाना जैसी योजनाएं रही हैं। लेकिन मदरसा आधुनिकीकरण में पढ़ाने वाले शिक्षकों को महीनों उनकी सैलेरी नहीं मिल पाती।"
बैठक के दौरान बोर्ड के रजिस्ट्रार से कहा गया कि वह 15 दिनों नई मान्यता के लिए पोर्टल के जरिए ऑनलाइन व्यवस्था सुनिश्चित करवाई जाए। इसके साथ ही यह भी मदरसा से शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की सुविधा के लिए पासपोर्ट बनवाए जाने के लिए मदरसा शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रमों के अंक पत्र व प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के साथ समन्वय स्थापित कर सुगम व्यवस्था बनाए जाने के भी निर्देश दिए गए।
मदरसा बोर्ड से जुड़े सूत्रों ने बताया कि बोर्ड के मुंशी, मौलवी, आलिम, फाजिल, कामिल आदि पाठ्यक्रमों को किसी विश्वविद्यालय या संस्थान से मान्यता दिलाने पर भी विचार किया गया है। सरकार के अनुसार राज्य में अनुदानित करीब 16,000 से अधिक मदरसे कार्यरत हैं। इन मदरसों में सरकार की ओर से तालिम के लिए पैसे दिए जाते हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश के सभी मदरसे अल्पसंख्यक विभाग चलाता है।