UPSC ने रखा प्रस्ताव, सिविल सेवा परीक्षा से हटाया जाए CSAT
क्या है खबर?
अगर आप भी UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आपके लिए ये खबर जानना बहुत जरुरी है।
द प्रिंट की खबर के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) चाहता है कि सरकार सिविल सेवा परीक्षा में अनिवार्य योग्यता परीक्षा से दूर रहे।
जी हां, UPSC सिविल सेवा परीक्षा में से अनिवार्य एप्टीट्यूड टेस्ट को हटाना चाहता है।
ये परीक्षण उम्मीदवारों की समझ, कम्युनिकेशन और निर्णय लेने के कौशल का परीक्षण करता है।
आइए जानें पूरी खबर।
प्रस्ताव
अपने विज़न डॉक्यूमेंट में रखा ये प्रस्ताव
आयोग के सूत्रों ने कहा कि जून में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के साथ साझा किए गए अपने विज़न डॉक्यूमेंट में UPSC ने सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (CSAT) को हटाने और व्यापक अनुपस्थिति के लिए दंड लाने का प्रस्ताव दिया है।
CSAT या पेपर-II को साल 2011 में लाया गया था। इस पेपर के लिए कुछ उम्मीदवारों द्वारा व्यापक विरोध किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह अंग्रेजी, गणित और विज्ञान पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए फायदा है।
CSAT
क्या है CSAT पर विवाद?
सिविल सेवा परीक्षा का पेपर-I करेंट अफेयर्स, इतिहास, इकोनॉमिक्स, पर्यावरण आदि जैसे मुद्दों पर उम्मीदवारों का परीक्षण करता है।
वहीं पेपर-II यानी CSAT उम्मीदवारों की समझ, निर्णय लेने के तरीके, कम्प्रेहैन्सिव, रीजनिंग और बेसिक गणित का परीक्षण करता है।
हालांकि, CSAT को उम्मीदवारों का बड़े पैमाने पर विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके कारण सरकार ने 2015 में परीक्षा के इस भाग को केवल क्वालिफाइंग बनाने का फैसला किया।
UPSC
क्या है UPSC का विचार?
2011 और 2015 के बीच CSAT के लिए उपस्थित होने वाले उम्मीदवार अभी भी ये मानते हुए विरोध कर रहे हैं, कि उन्हें इससे नुकसान हुआ था।
एक अधिकारी ने कहा कि UPSC का विचार है कि पेपर-I में अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्र पेपर-II में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
इसके साथ उन्होंने ये भी कहा कि उम्मीदवार इस परीक्षा की तैयारी में अपना समय बर्बाद कर रहे हैं।
पैनेल्टी
क्यों लगानी है अनुपस्थिति होने पर पैनेल्टी?
अधिकारी ने बताया कि इसके साथ आयोग ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि सरकार सिविल सेवा परीक्षा से व्यापक अनुपस्थिति के लिए कुछ जुर्माना सुनिश्चित करे।
UPSC का मानना है कि उम्मीदवारों की व्यापक अनुपस्थिति पर नकल कसने से संसाधनों पर दबाव कम होगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि औसतन लगभग 10 लाख उम्मीदवार हर साल सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन उनमें से केवल आधे ही परीक्षा में शामिल होते हैं।