अब देश में ही मिलेगी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों की डिग्री, UGC का अहम फैसला
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने अगले शैक्षणिक सत्र यानि 2022-23 से भारत के शैक्षणिक संस्थानों को अब विदेशी संस्थानों के साथ ज्वाइंट डिग्री, ट्विनिंग डिग्री और डुअल डिग्री कार्यक्रम शुरू करने की अनुमति दे दी है। इसके तहत देश का कोई भी शीर्ष विश्वविद्यालय दुनिया के किसी भी शीर्ष विश्वविद्यालय के साथ मिलकर साझा कोर्स शुरू कर सकता है और इसका लाभ भारतीय छात्रों के साथ-साथ विदेशी छात्र भी उठा सकेंगे।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी की गई है संयुक्त डिग्री की सिफारिश
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, यह पहली बार है जब ज्वाइंट डिग्री की अनुमति दी जा रही है। हालांकि, इनमें से कुछ पहलों की रेगुलेशन देने वाले नियमों की पहली बार 2012 में घोषणा की गई थी, और 2016 में संशोधित किया गया था। UGC अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने मंगलवार को पत्रकारों से चर्चा में इस संबंध में रेगुलेशन को मंजूरी देने की जानकारी दी और बताया कि इसकी सिफारिश नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में भी की गई है।
कौनसे विश्वविद्यालय इस कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं?
जगदीश ने बताया कि भारत सरकार की तरफ से जारी होने वाली नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिग फ्रेमवर्क (NIRF) के शीर्ष 100 और विश्व रैंकिंग (QS और टाइम्स हायर रैकिंग) के शीर्ष 1,000 और राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) की तरफ से जारी 3.01 स्कोर वाले संस्थान इस डिग्री कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं। जो विश्वविद्यालय इन नियमों को पूरा करते होंगे, उन्हें इन कार्यक्रम को शुरू करवाने के लिए UGC से पूर्व मंजूरी नहीं लेनी होगी।
इस कार्यक्रम के लिए दोनों सहयोगी संस्थानों को MoU पर करना होगा हस्ताक्षर
बता दें कि इस कार्यक्रम के लिए दोनों सहयोगी संस्थानों को संयुक्त रूप से पाठ्यक्रम सामग्री विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करना होगा। पात्र संस्थानों को UGC से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है, लेकिन संबंधित सांविधिक निकाय (उदाहरण के लिए, इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की तरफ से अनुमोदित कार्यक्रमों को प्राप्त करना होगा) और UGC को इसके बारे में सूचित करना होगा।
संयुक्त और दोहरी डिग्री कार्यक्रम का संचालन कैसे होगा?
ट्विनिंग डिग्री कार्यक्रम: इसमें छात्र को एक, दो या तीन सेमेस्टर की पढ़ाई विदेशी विश्वविद्यालय में जाकर करनी होगी। इसमें अधिक से अधिक 30 फीसदी कोर्स या क्रेडिट विदेशी विश्वविद्यालय से प्राप्त करने होंगे। ज्वाइंट डिग्री कार्यक्रम: इसमें एक भारतीय और दूसरा विदेशी विश्वविद्यालय मिलकर डिग्री प्रोग्राम चलाएंगे। इसमें डिग्री भारतीय विश्वविद्यालय की होगी। उसमें दोनों विश्वविद्यालयों का नाम और लोगो होगा। इसमें कम से कम 30-30 फीसदी क्रेडिट दोनों विश्वविद्यालयों से प्राप्त करने अनिवार्य होंगे।
डुअल डिग्री कार्यक्रम का संचालन कैसे होगा?
डुअल डिग्री कार्यक्रम: एक भारतीय और दूसरा विदेशी विश्वविद्यालय डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई करवाएंगे। दोनों विश्वविद्यालय अलग-अलग डिग्री जारी करेंगे। इसमें भी दोनों प्रोग्राम में 30 या उससे अधिक क्रेडिट स्कोर हासिल करने होंगे। बता दें कि सहयोगी संस्थानों को समाज के सभी वर्गों के लिए गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा सुलभ और सस्ती बनाने के लिए "उचित शुल्क संरचना" तैयार करनी होगी और इसके बारे में छात्र को एडमिशन के समय सूचित कर दिया जाएगा।