इन IAS अधिकारियों ने भारत को बेहतर बनाने के लिए की ये पहल, जानें
भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) देश की सबसे प्रतिष्ठित और मांगी जाने वाली सिविल सेवा है। IAS में शामिल होना कई लोगों के लिए एक सपना है लेकिन एक IAS अधिकारी बनना कठिन है। इसके लिए बहुत मेहनत की जरूरत होती है। हालाँकि, कई समर्पित IAS अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी शानदार पहल से देश को गौरवान्वित किया है। हमने अपने आज के इस लेख में पांच IAS अधिकारी बताएं हैं, जिन्होंने अपनी पहल से भारत को बेहतर बनाया है। आइए जानें।
सौरभ कुमार को मिला प्रधान मंत्री पुरस्कार
सौरभ कुमार 2009 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के IAS अधिकारी, नक्सल-हॉटेड दंतेवाड़ा के जिला कलेक्टर हैं। वह बेरोजगारी से निपटने और स्थानीय युवाओं को हिंसा और अतिवाद से फ्री जीवन देने पर काम कर रहा है। उन्होंने युवाओं के साथ बातचीत करने के लिए "लंच विद द कलेक्टर" नामक कॉउन्सलिंग सेशन का शुभारंभ किया है। इसके साथ ही साल 2017 में उन्होंने लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधान मंत्री पुरस्कार भी प्राप्त किया है।
आर्मस्ट्रांग पेम बने मिरेकल मैन
आर्मस्ट्रांग पेम नागा लोगों की ज़ेमे जनजाति से पहले IAS अधिकारी हैं। आर्मस्ट्रांग पेम 2009 बैच के अधिकारी हैं, जिन्हें विभिन्न पहलों के लिए जाना जाता है। साल 2012 में बिना सरकारी मदद के मणिपुर को नागालैंड और असम से जोड़ने वाली 100 किमी की "पीपल्स रोड" बनाने के लिए "मिरेकल मैन" कहा जाता है। उन्होंने कनेक्टिविटी के मुद्दे को हल किया, क्योंकि स्थानीय लोगों को पहले लंबी दूरी तक चलना पड़ता था या तैरकर नदी पार करनी पड़ता थी।
मोहम्मद अली ने बनाया प्लास्टिक-फ्री जिला
केरल कैडर के 2011 बैच के IAS अधिकारी मीर मोहम्मद अली ने 2017 में केवल पांच महीनों में राज्य के कन्नूर जिले को देश का पहला प्लास्टिक-फ्री जिला बनने में मदद की। उन्होंने न केवल प्लास्टिक कैरी बैग और अन्य वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के रूप में हैंडलूम बैग को भी बढ़ावा दिया, जिससे करड़े बुनने वालों को मदद मिली। इसके अलावा उन्होंने नकली समाचारों से लड़ने के लिए एक पहल भी शुरू की।
कलेक्टर ब्रो के नाम से जाने जाते हैं प्रशांत नायर
2007 बैच के IAS अधिकारी प्रशांत नायर, केरल के कोझिकोड के कलेक्टर थे, जिन्होंने सोशल मीडिया का उपयोग जीवन बदलने और नागरिक-हितैषी, पारदर्शी प्रशासन के लिए किया था। "कलेक्टर ब्रो" के रूप में भी जाने जाने वाले प्रशांत ने ऑपरेशन सुलेमानी (भूख को संबोधित करने के लिए), तेरे मेरे बीच में (कोझीकोड समुद्र तट वेस्ट मैनेजमेंट), यो अप्पोपा (वृद्ध लोगों के लिए) जैसी पहल शुरू की। वह वर्तमान में केरल शिपिंग एंड इनलैंड नेविगेशन कॉर्पोरेशन के MD हैं।
राज यादव ने भी की एक नई पहल
2009 बैच के IAS अधिकारी राज यादव ने दक्षिण सिक्किम के दूरस्थ गांवों को विकसित करने के लिए एक पहल शुरू की। क्षेत्र के कई गाँव विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त थे, जिनमें अनियमित बिजली आपूर्ति, सरकारी स्कूल के शिक्षकों की कमी, विकास की कमी आदि शामिल थे। हालाँकि 2014 में, जब उन्हें दक्षिण सिक्किम का जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया, तो यादव ने गाँवों को विकसित करने के लिए जिला प्रशासन की एडॉप्टेड की विलेज (DAAV) पहल शुरू की।