UPSC के ऑप्शनल विषय की लिस्ट में हो रही है मास कम्युनिकेशन की मांग
पत्रकारिता एवं जनसंचार से स्नातक करने वाले छात्रों को UPSC परीक्षा में ऑप्शनल विषय के लिए समस्या होती है। उन्हें न चाहते हुए भी अन्य विषय को पढ़ना होता है और किसी भी विषय को शुरू से पढ़ना कठिन होता है। यही एक कारण है कि अब पत्रकारिता एवं जनसंचार से स्नातक करने वाले छात्र UPSC परीक्षा के ऑप्शनल विषय की लिस्ट में इस विषय की मांग कर रहे हैं। आइए जानें क्या है पूरी खबर।
छात्रों का कहना है ये
मास कम्युनिकेशन विषय को देश और राज्य स्तरीय की सिविल सर्विस परीक्षाओं में ऑप्शनल विषय के रूप में शामिल करने की मांग उठाई जा रही है। छात्रों का कहना है कि भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पिछले 77 साल से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में डिग्री दी जा रही है। वहीं अगर हम इंटरनेशनल स्तर की बात करें, तो ये विषय 110 साल पुराना है। काफी बड़ी संख्या में छात्र इस विषय में ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन करते हैं।
91% विश्वविद्यालय में होता है ये पाठ्यक्रम
भारत के कुल 43 जनरल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से लगभग 91% विश्वविद्यालयों में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग है। कई प्राइवेट विश्वविद्यालयों में भी इस पाठ्यक्रम में कई छात्र प्रवेश लेते हैं। इसके साथ ही बता दें कि देश के तीन विश्वविद्यालय भोपाल में माखनलाल चतुर्वेदी, रायपुर में कुशाभाऊ ठाकरे, जयपुर में हरिदेव जोशी पूरी तरह से इसी विषय के लिए हैं। वहीं जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों एडमिशन के लिए मारामारी होती है।
IGNOU के छात्र ने कहा ये
आज तक की खबर के अनुसार इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) दिल्ली के जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन से PHD कर रहे सुनील कुमार लोनिया का कहना है कि UPSC सिविल सर्विस के लिए कुल 48 विषयों को ऑप्शनल लिस्ट में भारत में 77 साल से पढ़ाए जा रहे इस लोकप्रिय विषय को भी शामिल किया जाना चाहिए। इस विषय का लिस्ट में नाम नहीं होने से छात्रों को मजबूरन अन्य विषय का अध्ययन करना पड़ता है।