हिंसा या अन्य कारणों से कब-कब सुर्खियों में रहा JNU?
दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने देश को कई अर्थशास्त्री, इतिहासकार और शिक्षाविद दिए हैं। हाल ही में दुनियाभर के विश्वविद्यालयों की रैंकिंग जारी करने वाली संस्था क्वाक्वेरेली साइमंड्स(QS) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी की कला-मानविकी विषय श्रेणी में JNU ने टॉप 200 में जगह बनाई थी। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिग फ्रेमवर्क (NIRF) में भी JNU सर्वश्रेष्ठ तीन विश्वविद्यालयों में शामिल रहता है। लेकिन हालिया समय में JNU अपनी शैक्षणिक गतिविधियों से ज्यादा विवादों की वजह से अधिक सुर्खियों में रहा है।
छात्रों के बीच लड़ाई-झगड़े को लेकर अधिक चर्चित रहा JNU
JNU से विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अमिताभ कांत और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अभिजीत बनर्जी समेत कई नामचीन हस्तियों ने शिक्षा हासिल की है और विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है। हालांकि पिछले कुछ सालों से JNU का जिक्र वहां पढ़ रहे छात्रों के बीच होने वाले लड़ाई-झगड़े को लेकर अधिक रहा है। आइये जानते हैं कि यह विश्वविद्यालय हिंसा के कारण कब-कब और क्यों चर्चाओं में रहा।
1980: इंदिरा गांधी की सरकार में 46 दिनों के लिए बंद रहा था JNU
16 नवंबर, 1980 से 3 जनवरी, 1981 के बीच 46 दिनों के लिए JNU को बंद कर दिया गया था। तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू विद्यार्थी परिषद (JNUSU) अध्यक्ष जेम्स जी राजन पर आरोप था कि उन्होंने तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति का अपमान किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तब परिसर में गुंडागर्दी रोकने के लिए पुलिस को छात्रावासों पर छापा मारने का आदेश दिया और फिर जेम्स की गिरफ्तारी हुई। इसके बाद विश्वविद्यालय 46 दिनों के लिए बंद रहा।
2000: पाकिस्तान के समर्थन में कुछ गजलें पढ़ने का आरोप
2000 में JNU में एक मुशायरे का आयोजन हुआ था और इसमें कथित तौर पर पाकिस्तान के समर्थन में कुछ गजलें पढ़ीं गईं। तब वहां मौजूद सेना के दो जवानों ने इसका विरोध किया था और इसप र मुशायरे का आयोजन करने वाले छात्र संगठन के नेताओं ने दोनों जवानों को बुरी तरह से पीटा था। इस घटना के बाद ये मामला भाजपा सांसद बीसी खंडूरी ने संसद में भी उठाया था।
2005: ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंध का समर्थन करने पर मनमोहन का हुआ था विरोध
2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को JNU परिसर में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाना था। तब भारत ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उस पर प्रतिबंध के अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन किया था। JNU परिसर में मनमोहन के पहुंचते ही उनके खिलाफ छात्रों ने नारेबाजी शुरू कर दी थी और काले झंडे दिखाए गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान उनका रास्ता रोकने की कोशिश भी हुई थी।
2010: नक्सली हमले में जवानों की शहादत पर जश्न मनाने का आरोप
6 अप्रैल, 2010 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुआ नक्सली हमला भारतीय सुरक्षाबलों पर हुए बड़े हमलों में से एक है। इसमें एक पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 76 जवान शहीद हुए। इस दौरान कांग्रेस के छात्र संगठन (NSUI) ने आरोप लगाया था कि वामपंथी छात्र संघ ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) के छात्रों ने इसकी खुशी मनाने के लिए कैंपस में कार्यक्रम का आयोजन किया और भारत विरोधी नारे लगाए गए।
2013: महिषासुर बलिदान दिवस नाम के कार्यक्रम का आयोजन
अक्टूबर, 2013 में JNU परिसर में महिषासुर बलिदान दिवस नाम के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजकों के मुताबिक, महिषासुर आदिवासियों की असुर जाति का था। आमतौर पर महिषासुर को राक्षस माना जाता है, जिसका वध देवी दुर्गा ने किया। आयोजक इस वध को शहादत कहते हैं। हालांकि इस कार्यक्रम के दौरान आरोप लगे कि इसमें ऐसे पर्चे बांटे गए जिसमें देवी दुर्गा के बारे में आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया गया।
2016: परिसर में देश विरोधी नारे लगने का आरोप
9 फरवरी, 2016 को JNU परिसर में 2001 में भारतीय संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की तीसरी बरसी पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें कुछ छात्रों पर देश विरोधी नारे लगाने का आरोप लगा। 11 फरवरी को टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर देश विरोधी नारे लगाने के वीडियो टेलीकास्ट हुए जिसमें देश विरोधी नारे लगाने का मुख्य आरोप तत्कालीन JNU छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और तत्कालीन छात्रसंघ के सदस्य उमर खालिद पर लगा।
2019: फीस बढ़ोत्तरी के कारण छात्रों और पुलिस के बीच हुई थी झड़प
नवंबर, 2019 में JNU में फीस बढ़ोत्तरी के कारण छात्रों और पुलिस के बीच जबरदस्त झड़प देखी गई थी। कैंपस में कोहराम मच गया था और छात्रों ने संसद तक पैदल मार्च निकाला। इस दौरान छात्रों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई। पुलिस पर पथराव हुआ और पुलिस ने भी लाठीचार्ज कर दिया था। इसके बाद JNU प्रशासन ने बयान दिया कि विश्वविद्यालय में किसी भी तरह की कोई फीस नहीं बढ़ाई गई है।
2020: 100 नकाबपोश लोग लाठी-डंडों के साथ परिसर में घुसे
बता दें कि जनवरी, 2020 में भी JNU परिसर में हिंसा हुई थी। तब करीब 100 नकाबपोश लोग लाठी-डंडों के साथ परिसर में घुसे और हिंसा शुरू कर दी। इस हमले में JNU छात्र संघ प्रमुख आइशी घोष समेत 36 छात्र, शिक्षक और कर्मचारी घायल हुए थे। पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज की थी, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। इस घटना को लेकर JNU प्रशासन और पुलिस पर कई सवाल उठे थे।
2022: रामनवमी के अवसर पर मांसाहारी भोजन परोसने का आरोप
10 अप्रैल, 2022 में JNU एक बार फिर हिंसा को लेकर तब चर्चा में आ गया जब रामनवमी के मौके पर मेस में कथित तौर पर मांसाहारी भोजन परोसने को लेकर छात्रों के दो समूहों के बीच कावेरी छात्रावास में झड़प हो गई। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, इस घटना में छह छात्र घायल हो गए हैं। हालांकि दोनों समूहों ने दावा किया था कि दोनों पक्षों के 60 से अधिक छात्र घायल हुए हैं।