
UPSC की तैयारी के लिए कोचिंग चुनें या स्वाध्याय? जानें क्या रहेगा बेहतर
क्या है खबर?
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा (CSE) सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में से एक मानी जाती है।
विस्तृत पाठ्यक्रम और सवालों की अनिश्चितता इस परीक्षा को कठिन बनाती है।
परीक्षा की तैयारी के लिए कुछ छात्र कोचिंग संस्थानों की मदद लेते हैं तो कुछ घर पर रहकर पढ़ाई करते हैं।
आमतौर पर अभ्यर्थियों में कोचिंग और स्वाध्याय (सेल्फ स्टडी) को लेकर मतभेद होता है।
आइए जानते हैं परीक्षा तैयारी का सही माध्यम क्या है।
#1
स्वाध्याय के फायदे
स्वाध्याय का सबसे बड़ा फायदा है कि आपको पढ़ाई के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। इससे आप अपने समय का पूरा उपयोग कर सकते हैं।
स्वाध्याय से आप अपनी ताकत और कमजोरियों का बेहतर तरीके से मूल्यांकन कर सकते हैं।
कोचिंग संस्थानों में भीड़ होने से कई बार छात्र पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं।
इसके अलावा कोचिंग की फीस बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में स्वाध्याय करके आप पैसों की बचत कर सकते हैं।
#2
किसे करना चाहिए स्वाध्याय?
स्वाध्याय करने के लिए अनुशासन बेहद जरूरी है। अगर आप अनुशासित किस्म के व्यक्ति हैं तो स्व-अध्ययन करें।
परीक्षा में सफलता के लिए एकाग्रचित होकर कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। ऐसे गुण वाले उम्मीदवारों को किसी कोचिंग की आवश्यकता नहीं है।
नौकरी के साथ तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए स्व-अध्ययन अच्छा विकल्प है।
उनके पास प्रतिदिन केवल 5 से 6 घंटे होते हैं, इस समय को स्वाध्याय के लिए समर्पित करना जरूरी है।
#3
कोचिंग के फायदे
कोचिंग संस्थानों में पेशेवर शिक्षक होते हैं और उन्हें पाठ्यक्रम की गहरी जानकारी होती है।
वे जानते हैं कि निश्चित सफलता के लिए क्या पढ़ना चाहिए। ऐसे में आपको सही मार्गदर्शन मिलता है।
इसके अलावा कोचिंग में समय-समय पर मॉक परीक्षाएं होती हैं, इनके जरिए तैयारी का बेहतर आंकलन हो सकता है।
कोचिंग से सक्रिय अध्ययन करने में मदद मिलती है और आप कठिन से कठिन अवधारणाओं को समझ सकते हैं।
कोचिंग से प्रतिस्पर्धा की भावना भी बढ़ती है।
#4
किसे करनी चाहिए कोचिंग?
कोचिंग परीक्षा की तैयारी के लिए ट्रैक पर बने रहने में मदद करती है। अगर आप तैयारी के दौरान एकाग्र नहीं रह पाते तो कोचिंग का सहारा ले सकते हैं।
इसके अलावा नए उम्मीदवारों कुछ समय के लिए कोचिंग जा सकते हैं। इससे उन्हें तैयारी करने के लिए सही मार्गदर्शन मिलेगा।
कोचिंग से महत्वपूर्ण और कठिन विषयों को कवर करने के बाद उम्मीदवार स्वाध्याय की तरफ बढ़ सकते हैं।
वैकल्पिक विषय की तैयारी के लिए कोचिंग का विकल्प बेहतर रहेगा।