चंद्रयान-3: परीक्षा के लिहाज से इन महत्वपूर्ण तथ्यों को रखें याद
भारत का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सुरक्षित रूप से उतर गया है और इसकी सफल लैंडिंग के बाद पूरी दुनिया में भारत की चर्चा हो रही है। चंद्रयान-3 का लैंडर और रोवर चांद की सतह पर घूमकर महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाएगा। ये भारत का बेहद अहम मिशन है और इससे जुड़े तथ्य परीक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं। आइए चंद्रयान-3 से जुड़ी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में जानते हैं।
दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना भारत
भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन चांद पर सफल लैंडिंग कर चुके हैं, लेकिन दक्षिणी ध्रुव पर ये देश नहीं पहुंचे थे। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक लैंडिंग की है। इस सफलता के बाद भारत को विशिष्ट अंतरिक्ष क्लब में शामिल कर लिया गया है। चांद पर सबसे पहले सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला देश रूस है।
ISRO का अगला मिशन है गगनयान
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद ISRO का अगला मिशन गगनयान है जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन होगा। इसे सितंबर या अक्टूबर के पहले सप्ताह में शुरू किया जा सकता है। इस मिशन के तहत 3 अंतरिक्ष मिशनों को कक्षा में भेजा जाएगा। इन 3 मिशनों में से 2 मानवरहित होंगे, जबकि 1 मानव युक्त मिशन होगा। इसमें 3 भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा ISRO शुक्रयान मिशन की भी योजना बना रहा है।
चंद्रयान-1 ने की थी महत्वपूर्ण खोज
चंद्रमा के लिए भारत का पहला मिशन चंद्रयान-1 श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 22 अक्टूबर, 2008 को लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-1 ने चंद्रमान के चारों ओर 3,400 से ज्यादा परिक्रमाएं की थी और 29 अगस्त, 2009 में इसने संचार खो दिया था। इस मिशन की सबसे महत्वपूर्ण खोज चंद्रमा की सतह पर हाइड्रॉक्सिल (OH) और पानी अणुओं की उपस्थिति की खोज है। इसके बाद भारत ने 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया था।
चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान करेगा ये काम
चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम अपने साथ 'प्रज्ञान' नामक रोवर ले गया है, जो सतह की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करेगा। रोवर प्रज्ञान एक 6 पहियों वाला एक रोबोटिक वाहन है, जो चांद की सतह पर चलने और फोटो खींचने में सक्षम है। रोवर चांद पर मौजूद केमिकल्स और खनिजों की खोज करेगा। ये काम रोवर अपने पेलोड अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) के जरिए करेगा।
लैंडर करेगा ये काम
चंद्रयान-3 का लैंडर चांद की सतह पर रोवर से डाटा लेगा और इसे बेंगलुरू स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDNS) को भेजेगा। इसके अलावा लैंडर का काम चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाजमा कणों के घनत्व, उनकी मात्रा की जांच करना है, यह चांद की सतह के तापमान की जांच करेगा। इसके अलावा लैंडर लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा और चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा।