चंद्रयान-3 की लैंडिंग को कंट्रोल नहीं करेंगे ISRO वैज्ञानिक, AI के जरिए खुद करेगा टचडाउन
क्या है खबर?
भारत का चांद मिशन चंद्रयान-3 आज चांद की सतह पर उतरने वाला है और इसकी लैंडिंग से पहले के 20 मिनट काफी चुनौतीपूर्ण होंगे। इसी आखिरी समय में मिशन की सफलता निर्भर होगी।
वर्ष 2019 में इसी आखिरी क्षण में मैन्युवर के दौरान चंद्रयान-2 दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग पर वैज्ञानिक नजर तो रखेंगे, लेकिन वे यान को कंट्रोल नहीं कर पाएंगे। इस पर पूरा कंट्रोल उसमें लगे कंप्यूटर और नेविगेशन सिस्टम का होगा।
लैंडर
लैंडर में पहले से फीड है एल्गोरिदम
चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर विक्रम की लैंडिंग की मॉनिटरिंग बेंगलुरू में स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) से की जाएगी।
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लैंडिंग के अखिरी 15 मिनट के दौरान चंद्रयान-3 की पूरी लैंडिंग प्रक्रिया कंप्यूटर लॉजिक द्वारा निर्देशित होगी। लैंडर के कंप्यूटर, गाइडेंस और कंट्रोल नेविगेशन सिस्टम में एल्गोरिदम पहले से ही फीड किया गया है।
लैंडिंग
कंट्रोल सेंटर नहीं भेज सकता कोई आदेश
बुधवार को 5:47 बजे से लैंडर के लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होगी और शाम 6:04 बजे इसका टचडाउन निर्धारित है।
बेंगलुरू में ISTRAC केंद्र चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम द्वारा भेजे गए सिग्नल से डाटा प्राप्त करेगा। यह डाटा बेंगलुरू में डीप स्पेस नेटवर्क, अमेरिका में जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला और स्पेन में मौजूद यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक स्टेशन को भेजा जाएगा।
हालांकि, इस दौरान मिशन कंट्रोल सेंटर लैंडर को कोई आदेश नहीं भेज पाएगा।
बदलाव
लैंडिंग के लिए AI का उपयोग करेगा लैंडर
इससे पहले वाले चांद मिशन चंद्रयान-2 की लैंडिंग सफल न होने के बाद इस बार चंद्रयान-3 के सेंसर्स से लेकर डिजाइन, सॉफ्टवेयर सहित कई बदलाव किए गए हैं।
चंद्रयान-3 का लैंडर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग के लिए प्रोग्राम किए गए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करेगा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यान में सेंसर्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लैंडर के लैंडिंग स्थान, गति और ओरिएंटेशन सहित सब कुछ इन्हीं सेंसर्स पर निर्भर करता है।
सेंसर्स
सेंसर करेंगे ये काम
15 मिनट की लैंडिंग प्रक्रिया के पहले 10 मिनट में चांद की सतह से 25 किलोमीटर की ऊंचाई से 7.42 किलोमीटर की ऊंचाई तक उतरने पर लैंडर में लगे सेंसर गणना करेंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, ISRO अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 का मूल इसके सेंसर हैं। इसकी गति, दिशा ऊंचाई आदि के लिए विभिन्न सेंसर का उपयोग किया गया है। लैंडर के वेलोसिमीटर और अल्टीमीटर लैंडर की गति और ऊंचाई का पता लगाते हैं।
कैमरे
सेंसर और 2 इंजन फेल होने पर भी लैंडिंग में सक्षम है चंद्रयान-3
यान को खतरे से बचाने के हजार्ड अवाइडेंस कैमरा सहित अन्य कैमरे लगे हैं। इसका AI सिस्टम सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर को सही स्थिति में लाने में मदद करता है।
सोमनाथ ने कुछ समय पहले कहा था कि चंद्रयान-3 को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसके सभी सेंसर और 2 इंजन फेल होने पर भी लैंडर लैंडिंग में सक्षम है। इसके लिए बस प्रोपल्शन सिस्टम काम करना चाहिए।