बलिया के अनिमेष को अमेरिका की टॉप कंसल्टिंग कंपनी से मिला 1.75 करोड़ का ऑफर
मेहनत और लगन से कोई भी किसी भी मुकाम पर पहुंच सकता है। इस बात को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक लड़के ने सही साबित कर दिखाया है। हाल ही में बलिया के अनिमेष आनंद मिश्रा को अमेरिका की टॉप कंसल्टिंग कंपनी मैकिन्जी में 1.75 करोड़ रुपये के पैकेज का ऑफर मिला है। बता दें कि अनिमेष एक साधारण परिवार से हैं। उनके पिता एक सरकारी शिक्षक और मां गृहिणी हैं।
अन्य छात्रों को पढ़ाई करने के लिए करेगा प्रेरित- पिता
अपनी मेहनत से अनिमेष ने अपने सपनों को साकार कर दिखाया है और अपने माता-पिता को गौरवान्वित किया है। यह उनके जीवन की बहुत बड़ी सफलता है। बता दें कि अनिमेष बलिया से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित बदलापुर पोखरा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता वेद प्रकाश मिश्रा का कहना है कि वह अपने बेटे की सफलता से खुश हैं और उम्मीद है कि उनकी सफलता अन्य छात्रों को पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करेगी।
इस मुकाम तक पहुंचने के लिए करना पड़ा कठिन परिश्रम
अनिमेष की सफलता में उनके माता-पिता का भी हाथ है। उनकी मां उन्हें और उनकी बड़ी बहन को पढ़ाई का माहौल और बेहतर अवसर देने के लिए लगभग 20 साल पहले ही वाराणसी जाकर रहने लगी थीं, जबकि उनके पिता बलिया में रहकर ही अपनी नौकरी कर रहे थे। अनिमेष बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे। हालांकि, आज वो जिस मुकाम पर हैं वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने वर्षों कठिन परिश्रम किया।
याद करने की जगह कॉन्सेप्ट्स को समझा- मां
अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2009 में उच्च शिक्षा के लिए अनिमेष ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) में प्रेवश लिया। इसके बाद एक स्कॉलरशिप मिलने पर वह साल 2014 में ही अमेरिका चले गए थे। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, अनिमेष की मां सरोज मिश्रा का कहना है कि उन्होंने हमेशा हर विषय के बेसिक्स को समझने पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने याद करने के बजाय कॉन्सेप्ट को समझने की कोशिश की।
बचपन से ही पढ़ाई करने में थी रुचि
10वीं पास करने के बाद ही अनिमेष का चयन भारत सरकार की किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना के लिए हो गया था। देशभर में होने वाली इस परीक्षा में उत्तर प्रदेश के केवल दो लड़कों का चयन हुआ था, जिसमें से एक अनिमेष थे। इसे देखकर कहा जा सकता है कि बचपन से ही अनिमेष पढ़ाई में रुचि रखते थे। उनकी इस रुचि और मेहनत ने ही उन्हें आज यहां तक पहुंचाया है। उनकी सफलता से उनके परिजन बहुत खुश हैं।