प्रस्तावित राष्ट्रीय ई-कॉमर्स पॉलिसी जल्द हो सकती है लागू, ये हैं उम्मीदें
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा तैयार की जा रही प्रस्तावित राष्ट्रीय ई-कॉमर्स पॉलिसी अंतिम चरण में है। रिपोर्ट के मुताबिक, नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "इस पॉलिसी के लिए हितधारकों के विचार जानने के लिए अब कोई मसौदा पॉलिसी नहीं जारी की जाएगी। हम बस अंतिम हस्ताक्षर कर रहे हैं।" डाटा लोकलाइजेशन (स्थानीयकरण) पर अधिकारी ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों को देश के कानून का पालन करना होगा।
डाटा प्रोटेक्शन कानून से और मजबूत होगी ई-कॉमर्स पॉलिसी
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि पॉलिसी के साथ ई-कंज्यूमर प्रोटेक्शन से जुड़ी नियम भी जारी होंगे। माना जा रहा है कि डाटा प्रोटेक्शन कानून लागू होने के बाद ई-कॉमर्स पॉलिसी को मजबूती मिलेगी। डाटा लीक होने या चोरी किए जाने पर डाटा प्रोटेक्शन कानून के तहत ऐसा करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। पॉलिसी लागू होने के बाद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से संबंधित पसंदीदा सेलर भी सवालों के घेरे में आएंगे।
पॉलिसी में ONDC के प्रावधान की उम्मीद
ई-कॉमर्स उद्योग के तेजी से बढ़ने के कारण कंज्यूमर प्रोटेक्शन अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स पॉलिसी और नियमों की जल्द ही आवश्यकता जताई जा रही थी। माना जा रहा है कि पॉलिसी को अगले महीने तक लागू किया जा सकता है। ई-कॉमर्स पॉलिसी में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) के प्रावधान की भी उम्मीद है। इससे क्रेता और विक्रेताओं को एक ही प्लेटफॉर्म के जरिए लेनदेन में सक्षम बनाकर भारत में ई-कॉमर्स के लोकतंत्रीकरण होने की उम्मीद है।
ई-कॉमर्स के लिए बनाया जा सकता है नियामक
स्थानीय व्यापारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भारी छूट देने और चुनिंदा सेलर्स को वरीयता दिए जाने पर सवाल उठाते रहे हैं। ऐसे में नई पॉलिसी में भारी छूट देने और सेलर्स के साथ भेदभाव को लेकर कड़ाई की जा सकती है और ई-कॉमर्स क्षेत्र हेतु नियामक भी स्थापित किया जा सकता है। इससे नियमों के उल्लंघन वाले मामलों पर कार्रवाई की जा सकेगी। हालांकि, नियामक स्थापित करने में समय लग सकता है।
पॉलिसी से ई-कॉमर्स क्षेत्र की निर्यात क्षमता बढ़ने की उम्मीद
राष्ट्रीय ई-कॉमर्स पॉलिसी का उद्देश्य एक ऐसा नियामक ढांचा स्थापित करना है, जो इस क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी प्रदान करे। इस पॉलिसी से भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र की निर्यात क्षमता बढ़ने की उम्मीद है। वर्ष 2030 तक भारत की ई-कॉमर्स निर्यात क्षमता सालाना लगभग 16-24 लाख करोड़ के बीच होने का अनुमान है। ई-कॉमर्स नीति पहली बार वर्ष 2018 में प्रस्तावित की गई थी और वर्ष 2019 में ई-कॉमर्स नीति का मसौदा जारी किया गया था।