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बॉन्ड बाजार क्या है और यह कैसे काम करता है? सरल भाषा में समझिए यहां
बॉन्ड की कीमत और बाजार की ब्याज दरों में एकदम ही उल्टा संबंध होता है (तस्वीर: पिक्साबे)

बॉन्ड बाजार क्या है और यह कैसे काम करता है? सरल भाषा में समझिए यहां

Apr 11, 2025
07:10 pm

क्या है खबर?

शेयर बाजार या वित्तीय क्षेत्र से जुड़ी किसी अन्य बातचीत में आपने कई बार 'बॉन्ड' शब्द का नाम सुना होगा। बॉन्ड बाजार भी इसी से जुड़ा है। यह वह जगह होती है, जहां सरकारें या कंपनियां पैसे उधार लेने के लिए बांड जारी करती हैं। बॉन्ड जारी करने का मतलब है कि वे निवेशकों से पैसे लेती हैं और वादा करती हैं कि तय समय पर ब्याज समेत वापस करेंगी। यह बैंक से लोन लेने जैसा ही होता है।

तरीका

बॉन्ड खरीदना कैसा होता है? 

जब कोई व्यक्ति या संस्था कोई भी बॉन्ड खरीदता है, तो वह असल में सरकार या कंपनी को पैसे उधार देता है। इसके बदले में बॉन्ड जारी करने वाला निवेशक को नियमित ब्याज देता है और निश्चित समय पर पूरा पैसा लौटा देता है। यह ठीक वैसा ही है, जैसे आप किसी भरोसेमंद दोस्त को पैसे उधार देते हैं, जो आपको ब्याज समेत समय पर चुकाने का वादा करता है।

ब्याज

बॉन्ड और ब्याज दरों का रिश्ता 

बॉन्ड की कीमत और बाजार की ब्याज दरों में एकदम ही उल्टा संबंध होता है। ब्याज दरें जब कभी बढ़ती हैं, तो पुराने बॉन्ड आकर्षक नहीं रह जाते हैं, क्योंकि वे काफी कम ब्याज देते हैं, इसलिए उनकी कीमत भी गिर जाती है। वहीं, जब ब्याज दरें घटती हैं, तो वही पुराने बॉन्ड भी ज्यादा मूल्यवान हो जाते हैं। यही उतार-चढ़ाव निवेशकों के मुनाफे और नुकसान को तय करता है।

मैच्योरिटी

बॉन्ड की मैच्योरिटी तिथि क्या होती है? 

हर बॉन्ड की एक निश्चित मैच्योरिटी तिथि होती है, यानी वह दिन जब बॉन्ड जारी करने वाला व्यक्ति या संस्था निवेशक को उसकी पूरी राशि लौटा देता है। यह तिथि तय करती है कि निवेश कब खत्म होगा। अल्पकालिक बॉन्ड कुछ सालों में खत्म हो जाते हैं, जैसे जल्दी खराब होने वाले सामान। वहीं दीर्घकालिक बॉन्ड लम्बे समय तक चलते हैं, जैसे टिकाऊ वस्तुएं। निवेशक इसी आधार पर तय करते हैं कि उन्हें कौन-सा बॉन्ड लेना है।

अन्य जानकारी

क्रेडिट रेटिंग और यील्ड कर्व का मतलब

क्रेडिट रेटिंग को आप स्कूल की रिपोर्ट कार्ड की तरह समझ सकते हैं, जो यह बताती है कि बॉन्ड जारी करने वाली संस्था कितना भरोसेमंद है। अच्छी रेटिंग का मतलब कम जोखिम और पैसा मिलने की ज्यादा संभावना। वहीं, यील्ड कर्व एक ग्राफ की तरह होता है, जो अलग-अलग समय अवधि के बॉन्ड पर मिलने वाले ब्याज को दिखाता है। इससे निवेशक तय करते हैं कि उन्हें कब और कितनी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए।