भारत अब टैक्स समझौते में स्विट्जरलैंड का 'सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र' नहीं, प्रावधान हटाया गया
स्विट्जरलैंड ने भारत के साथ दोहरे कराधान से बचाव समझौते (DTAA) में सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (MFN) खंड को निलंबित कर दिया है। यह जानकारी स्विस सरकार की ओर से जारी एक बयान में दी गई है। आदेश को अगले साल 1 जनवरी, 2025 से लागू किया जाएगा। आदेश के लागू होने से भारत में स्विस निवेश और स्विट्जरलैंड में काम करने वाली भारतीय कंपनियों पर उच्च करों के रूप में असर पड़ेगा।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया निर्णय
स्विट्जरलैंड सरकार ने यह निर्णय पिछले साल भारत में सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय के आधार पर लिया, जिसमें कहा गया था कि DTAA को तब तक लागू नहीं कर सकते, जब तक इसे आयकर अधिनियम के तहत अधिसूचित नहीं किया जाता। इससे नेस्ले जैसी स्विस कंपनियों को लाभांश पर उच्च कर का सामना करना पड़ता है। स्विस अधिकारियों का कहना है कि भारत सरकार द्वारा DTAA में पारस्परिकता की कमी के कारण निलंबन लागू किया गया था।
1994 में हुआ था समझौता
भारत और स्विट्जरलैंड ने मूल रूप से कर समझौतों पर 1994 में हस्ताक्षर किया था और बाद में इसे 2010 में संशोधन किया गया था। DTAA के तहत, MFN प्रावधान समझौता करने वाले देशों को लाभांश, रॉयल्टी या तकनीकी शुल्क जैसी आय पर कम कर दरों का लाभ उठाने की मंजूरी देता है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि स्विस के फैसले से भारत में निवेश पर असर पड़ेगा क्योंकि लाभांश पर उच्च कर कटौती लागू होगी।