रिचर्ड ब्रैनसन की अंतरिक्ष कंपनी वर्जिन ऑर्बिट ने फाइल किया बैंकरप्सी, ऐसे हुई फेल
अरबपति बिजनेसमैन रिचर्ड ब्रैनसन की वर्जिन ऑर्बिट कंपनी ने मंगलवार को चैप्टर 11 बैंकरप्सी फाइल किया है। ब्रैनसन की यह सैटेलाइट लॉन्च कंपनी जनवरी में फेल हुए रॉकेट लॉन्च से उबरने के लिए लंबे समय की फंडिंग पाने में विफल रही है। कैलिफोर्निया स्थित वर्जिन ऑर्बिट कंपनी ने हाल ही में लगभग 85 प्रतिशत कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा के बाद अपनी संपत्ति को बेचने के लिए अमेरिकी बैंकरप्सी कोर्ट में आवेदन फाइल किया है।
ऑर्बिट तक पहुंचने में विफल रहने से लगा झटका
कंपनी ने आवेदन में 30 सितंबर तक लगभग 20 अरब रुपये की संपत्ति और लगभग 12 अरब रुपये का कुल कर्जा दिखाया है। वर्जिन ऑर्बिट तो तब गहरा झटका लगा, जब उसका जनवरी में लॉन्च किया गया मिशन लॉन्चरवन रॉकेट के साथ ऑर्बिट तक पहुंचने में सफल नहीं रहा और अमेरिका और ब्रिटेन के खुफिया सैटेलाइट के अपने पेलोड को समुद्र में गिरा दिया। यह वर्जिन ऑर्बिट का ब्रिटेन से बाहर लॉन्च किया गया पहला रॉकेट था।
वर्जिन ऑर्बिट की ये थी रणनीति
वर्जिन ऑर्बिट वर्ष 2017 में ब्रैनसन की अंतरिक्ष पर्यटन कंपनी वर्जिन गैलैक्टिक से अलग हो गई थी और इसका प्लान छोटे सैटेलाइट को सस्ते में लॉन्चिंग की सर्विस देना था। वर्जिन ऑर्बिट ने सैटेलाइट को ऑर्बिट में भेजने के लिए मॉडिफाइड बोइंग 747 रॉकेट से नीचे कैटेगरी वाले रॉकेट लॉन्च किए थे। कंपनी को यकीन था कि उड़ान में 747 से छोटे रॉकेट लॉन्च करने से कहीं से भी शॉर्ट-नोटिस पर लॉन्च की अनुमति मिल जाएगी।
एलन मस्क के स्पेस-X के फॉल्कन 9 रॉकेट से मिला झटका
विश्लेषकों और इस उद्योग से जुड़े अधिकारियों और अन्य जानकारों ने कहा कि एलन मस्क की अंतरिक्ष कंपनी स्पेस-X के फॉल्कन 9 रॉकेट ने वर्जिन ऑर्बिट की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल, फॉल्कन 9 भी शेयर्ड राइड होने के चलते काफी सस्ता पड़ जाता है। वर्जिन ऑर्बिट में ब्रैनसन की 75 प्रतिशत हिस्सेदारी के बाद अबू धाबी का सॉवरेन वेल्थ फंड मुबाडाला 17.9 प्रतिशत शेयर के साथ दूसरा सबसे बड़ा निवेशक था।
ब्रिटेन के अंतरिक्ष अभियानों के लिए माना जा रहा था मील का पत्थर
सोमवार को क्लोजिंग प्राइज के आधार पर वर्जिन ऑर्बिट का बाजार मूल्य लगभग 5 अरब रुपये था, जो कि 2 साल पहले के इसके बाजार मूल्य से लगभग 200 अरब रुपये कम था। वर्जिन ऑर्बिट के मिशन को ब्रिटेन के अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक मील का पत्थर माना गया था। यह उम्मीद की गई थी कि ये सैटेलाइट निर्माण से लेकर रॉकेट बनाने और नए स्पेसपोर्ट बनाने के मामले में ब्रिटेन को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाएगी।