
AI बना साइबर ठगों का नया हथियार, हर 10 में 8 अपराध में इसका इस्तेमाल
क्या है खबर?
साइबर अपराध को अंजाम देने के लिए जालसाज अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कर रहे हैं। ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर रीस्ट्रक्चरिंग एनवायरनमेंट एंड मैनेजमेंट (GIREM) और टेकियन की रिपोर्ट के अनुसार, आजकल लगभग 10 में से 8 फिशिंग हमलों में AI का इस्तेमाल हो रहा है। यह रिपोर्ट कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक डॉ. एम.ए. सलीम द्वारा जारी की गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि साइबर हमलों में AI के उपयोग से खतरा तेजी से बढ़ रहा है।
खतरा
AI कैसे बढ़ा रहा साइबर खतरा?
रिपोर्ट में बताया गया है कि अपराधी अब AI की मदद से बहुत असली जैसे दिखने वाले ईमेल और वेबसाइट बना लेते हैं, जिससे लोग आसानी से धोखे में आ जाते हैं। वे ऐसे नामों वाली वेबसाइट बनाते हैं जो असली जैसी लगती हैं और नकली पेज बनाते हैं, जो इंटरएक्टिव भी होते हैं। ये नकली डैशबोर्ड भी बनाते हैं, जिससे ऐप या वेबसाइट असली लगती है। इस तरह की धोखाधड़ी अब पहले से ज्यादा खतरनाक हो गई है।
आंकड़े
भारत में साइबर अपराध के बढ़ते आंकड़े
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2024 में साइबर अपराध की 19.18 लाख शिकायतें दर्ज हुईं, जो 2023 से कहीं ज्यादा हैं। इस दौरान लोगों को कुल 22,812 करोड़ रुपये का बड़ा नुकसान हुआ, जो पिछले साल के 7,496 करोड़ रुपये से करीब 3 गुना है। क्रिप्टो हमलों में भारत अब दुनिया में दूसरे नंबर पर है। इसके अलावा, IoT और रैंसमवेयर जैसे खतरनाक हमलों में भी भारी बढ़ोतरी देखी गई है, जो चिंता बढ़ा रही है।
शिकार
कमजोर लोग बन रहे आसान शिकार
AI से हो रहे साइबर हमलों का सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों पर देखा जा रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि धोखेबाज लोग नकली बैंक या सरकारी ऐप बनाकर लोगों के मोबाइल में वायरस डाल देते हैं और उनका जरूरी डाटा चुरा लेते हैं। कर्नाटक के गांवों और जनजातीय इलाकों में भी ऐसे साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे इन जगहों के लोगों में डर और चिंता दोनों बढ़ गई है।
सुरक्षा
साइबर ठगी से कैसे सुरक्षित रहें?
साइबर ठगी से बचने के लिए सबसे जरूरी है सतर्क रहना और किसी अनजान लिंक या मैसेज पर क्लिक न करना। अगर कोई ऐप डाउनलोड करना हो, तो केवल गूगल प्ले स्टोर या ऐप स्टोर से ही करें। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करें और समय-समय पर फोन व ऐप्स अपडेट करते रहें। किसी भी बैंक या सरकारी संस्था की जानकारी केवल आधिकारिक वेबसाइट से ही लें। अपनी निजी जानकारी जैसे OTP, पासवर्ड या बैंक डिटेल्स किसी से भी साझा न करें।