अनिल अंबानी की कंपनी ने 'रिलायंस' शब्द को लेकर NCLT का दरवाजा क्यों खटखटाया?
क्या है खबर?
मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी अनिल धीरूभाई अंबानी वेंचर्स (ADAVPL) 'रिलायंस' शब्द को लेकर मुंबई में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) पहुंची है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, कंपनी ने अनुरोध किया है कि वह हिंदुजा के स्वामित्व वाली इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स (IIHL) को निर्देश दे कि वह दिवालिया वित्तीय सेवा फर्म रिलायंस कैपिटल (RCAP) के लिए समाधान योजना के लागू होते ही 'रिलायंस' ब्रांड नाम का उपयोग बंद कर दे।
विवाद
क्या है मामला?
रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी में IIHL की समाधान योजना को मंजूरी देते समय, NCLT ने हिंदुजा कंपनी को समाधान योजना के कार्यान्वयन के उद्देश्य से अनुमोदन की तारीख से 3 वर्षों तक 'रिलायंस' ब्रांड का उपयोग करने की अनुमति दी थी।
IIHL ने हाल में RCAP के अधिग्रहण के लिए ऋणदाताओं को पूरे 9,641 करोड़ रुपये का भुगतान किया। IIHL ने RCAP के अधिग्रहण के लिए नीलामी जीती और ऋणदाताओं ने जून 2023 में IIHL की बोली को मंजूरी दी।
स्वामित्व
'रिलायंस' ब्रांड का स्वामित्व दोनों भाईयों के पास बराबर
अंबानी परिवार की संपत्ति को लेकर जो समझौते हुए हैं, उसमें 'रिलायंस' ब्रांड का स्वामित्व रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अरबपति मुकेश और अनिल के पास बराबर-बराबर है।
याचिका में कहा गया है कि 'रिलायंस' ब्रांड का इस्तेमाल अंबानी परिवार के अलावा किसी और कंपनी और व्यक्ति द्वारा नहीं किया जाना चाहिए।
ADAVPL ने तर्क दिया है कि ब्रांड समझौता RCAP को ब्रांड में कोई स्वामित्व हित प्रदान नहीं करता है, बल्कि केवल इसके उपयोग की अनुमति देता है।