भारत में अनिवार्य होगी रिकॉल पॉलिसी, पालन न करने वाली ऑटो कंपनियों को देना होगा जुर्माना
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा बनाई गई नई व्हीकल रिकॉल पॉलिसी के तहत अब ऑटोमोबाइल कंपनियों को वाहनों में खराबी आने पर उन्हें ठीक करने के लिए रिकॉल (वापस बुलाना) करना अनिवार्य होगा। इसका पालन न करने वाली ऑटो कंपनियों को एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है। बता दें कि सरकार ने पिछले साल ही घोषणा कर बता दिया था कि वह जल्द भारत में रिकॉल पॉलिसी लेकर आएगी।
1 अप्रैल से लागू होगी पॉलिसी
अभी भारत में ऑटो कंपनियां अपनी इच्छा के अनुसार वाहनों में कमी आने की अधिक शिकायतों के आधार पर रिकॉल करती हैं। हालांकि, अब सभी ऑटो कंपनियों को अधिक वाहनों में एक जैसी कमी आने की शिकायतों और उनकी बिक्री के आधार पर उन्हें ठीक करने के लिए रिकॉल करना अनिवार्य होगा। इसके लिए सरकार ने फिलहाल ड्राफ्ट अधिसूचना जारी की है। प्रस्ताव पास होने पर यह नियम 1 अप्रैल से लागू कर दिया जाएगा।
पालन न करने पर कंपनियों को देना होगा लाखों का जुर्माना
मंत्रालय द्वारा जारी की गई ड्राफ्ट अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि अगर कंपनियां वाहनों के परीक्षण, अनिवार्य रिकॉल के नियमों का पालन करने, आयात और निर्यात आदि में सफल नहीं होती हैं तो इन्हें 10 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि अभी किसी भी कंपनी पर रिकॉल न करने के लिए कोई जुर्माना नहीं लगाया जाता है।
दोपहिया वाहनों की रिकॉलिंग के लिए ये नियम
टाइम्स नाऊ के अनुसार यदि एक साल में किसी दोपहिया वाहन की 3,000 यूनिट्स की बिक्री होती है और बिक्री के 20 प्रतिशत वाहनों में एक जैसी कमी आती है तो कंपनियों को उन्हें रिकॉल करना होगा। वहीं, 3,000 से अधिक 60,000 यूनिट्स तक की बिक्री होने पर अगर 10 प्रतिशत के अलावा 600 दोपहिया वाहनों में एक ही खराबी की शिकायतें आती हैं तो इन्हें भी कंपनी को वापस बुलाना होगा।
चार पहिया वाहनों के लिए होगा ये नियम
इसी प्रकार एक साल में 500 चार पहिया वाहनों की बिक्री होने पर 10 प्रतिशत वाहनों में एक जैसी खराबी आए तो उन्हें भी किरॉल करना होगा। वहीं, 501-10,000 यूनिट्स तक की बिक्री होने पर 10 प्रतिशत के अलावा 100 यूनिट्स में वही कमी आने पर भी रिकॉल करना पड़ेगा। इसके अलावा 10,000 यूनिट्स से अधिक बिक्री होने पर 1,050 यूनिट्स के अलावा 2.5 प्रतिशत वाहनों में वही खराबी आने पर उन्हें भी ठीक करने के लिए वापस बुलाया जाएगा।
ग्राहकों को नहीं देने होंगे पैसे
भारी वाहनों बसों और ट्रकों की साल की बिक्री में से कम से कम 3 प्रतिशत यूनिट्स में एक जैसी कमी आने पर कंपनियों को उन्हें रिकॉल करना होगा। रिकॉल के लिए ग्राहकों को कोई खर्च नहीं करना होगा। रिकॉल में लगने वाली लागत ऑटो कंपनियों द्वारा ही वहन की जाएगी। साथ ही नए नियम उन वाहनों पर भी लागू होंगे, जिनमें खराबी आने पर सड़क सुरक्षा और पर्यावरण को भी नुकसान होगा।
जल्द शुरू होगा नया पोर्टल
सरकार ग्राहकों के लिए जल्द ही एक नया पोर्टल शुरू करने की तैयारी में है। इस पर ग्राहक अपनी शिकायतें दर्ज कर पाएंगे और उनके आधार पर ऑटो कंपनियों को नोटिस भेजा जाएगा। कंपनियों को 30 दिनों के भीतर नोटिस का जवाब देना होगा। उनके जवाब के आधार पर इस बात की जांच की जाएगी कि वाहनों में आई खराबी की शिकायतें सही हैं या नहीं। उसके आधार पर उनके रिकॉल का फैसला लिया जाएगा।
अभी तक की सबसे महंगी रिकॉल
अभी हाल ही में दक्षिण कोरियाई ऑटो कंपनी हुंडई ने दुनियाभर से अपनी 82,000 इलेक्ट्रिक कारों को रिकॉल किया था। इसके लिए कंपनी को अरबों पैसे खर्च करने पड़े थे। इस कारण यह अब तक की सबसे महंगी रिकॉल बन गई है।