भारत में आगे नहीं बढ़ेगी CAFE नॉर्म्स के लिए समयसीमा, तय समय से होंगे लागू
कई दिनों से भारत में ऑटो कंपनियों के लिए लागू होने वाले कॉर्पोरेट औसत ईंधन दक्षता (CAFE) नॉर्म्स की समयसीमा आगे बढ़ने की खबरें आ रही थीं। हालांकि, अब सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार CAFE नॉर्म्स को लागू करने की समयसीमा आगे नहीं बढ़ाई जाएगी और अगले साल अप्रैल से सभी ऑटो कंपनियों के लिए CAFE नॉर्म्स लागू कर दिए जाएंगे। यह जानकारी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को सरकार और उद्योग के सूत्रों से मिली है।
क्या हैं CAFE नॉर्म्स?
बता दें कि CAFE नॉर्म्स को खासतौर से वाहनों से निकलने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए बनाया गया है। इसके साथ ही इनके लागू होने से भारतीय ऑटो कंपनियों को अधिक ईंधन दक्षता वाली कारों या इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड जैसी कम प्रदूषण करने वाली कारों का निर्माण करने के लिए निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। CAFE नॉर्म्स के फायदों को देखते हुए इसे लागू करने की समयसीमा को आगे नहीं बढ़ाया गया है।
आगे नहीं बढ़ाई जाएगी समयसीमा
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि CAFE नॉर्म्स लागू करने के लिए समयसीमा को अप्रैल, 2022 से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। हालांकि, अगर कार निर्माता क्लीन टेक्नोलॉजी में निवेश को लेकर गंभीर दिखेंगे तो सरकार कुछ रियायतों पर विचार कर सकती है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) इस समयसीमा को दो साल आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही थी। बता दें, SIAM भारत में प्रमुख कार निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करती है।
दूसरे चरण में कार निर्माताओं के सामने रखा गया यह प्रस्ताव
2 मार्च को SIAM के अधिकारियों ने भारत के परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की। भारत ने अप्रैल, 2017 में CAFE नॉर्म्स का पहला चरण पेश किया था। इसके तहत कार निर्माताओं को अगले साल मार्च के अंत तक नई पैसेंजर कारों के कार्बन उत्सर्जन में कटौती कर 130 ग्राम प्रति किलोमीटर से कम करने के लिए कहा गया है। दूसरे चरण में सरकार ने कार्बन उत्सर्जन की दर को 113 ग्राम प्रति किलोमीटर करने का प्रस्ताव रखा है।
कंपनियों ने दिया यह तर्क
दूसरे चरण के लागू होने पर ऑटो कंपनियों ने कहा कि उन्हें इसका पालन करने के लिए अधिक निवेश करना होगा, जो कि मुश्किल होगा। 2019 में आर्थिक मंदी और 2020 में कोरोना वायरस महामारी के कारण वार्षिक पैसेंजर वाहनों की बिक्री में लगभग 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। ऐसे में अधिक निवेश करना आसान नहीं है। हालांकि, दूसरे चरण के लागू होने से भारत के ईंधन आयात बिल में कटौती होगी और प्रदूषण पर अंकुश लगेगा।