
अमेरिका खुद रूस से खरीद रहा करोड़ों के सामान, रबर से लेकर यूरेनियम तक शामिल
क्या है खबर?
रूस से व्यापारिक संबंधों के चलते भारत को अमेरिका से धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वे भारत पर टैरिफ और बढ़ाएंगे, क्योंकि भारत रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है। हालांकि, अमेरिका भले ही भारत को धमका रहा हो, लेकिन वो खुद रूस से भारी मात्रा में कई महत्वपूर्ण सामान खरीद रहा है। आइए जानते हैं रूस-अमेरिका के बीच व्यापार कैसा है।
सामान
रूस से क्या-क्या खरीद रहा अमेरिका?
अमेरिका रूस से परमाणु उद्योग से जुड़ी चीजें, कीमती धातुओं और कृषि उत्पादों समेत कई चीजों का आयात कर रहा है। हालांकि, बीते कुछ सालों में अमेरिका में रूसी आयात कम हुआ है, लेकिन 2024 में ये आंकड़ा लगभग 3 अरब डॉलर था। अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार आयोग के अनुसार, 2024 में अमेरिका ने रूस से 1.1 बिलियन डॉलर के उर्वरक, 878 मिलियन डॉलर का पैलेडियम, 624 मिलियन डॉलर का यूरेनियम और 75 मिलियन डॉलर के विमान इंजन कलपुर्जे खरीदे।
वृद्धि
इस साल 5 महीने में 23 प्रतिशत बढ़ा अमेरिका का आयात
जनवरी से मई 2025 तक, रूस से अमेरिकी आयात सालाना आधार पर 23 प्रतिशत बढ़कर 2.1 बिलियन डॉलर पहुंच गया। इसमें पैलेडियम आयात 37 प्रतिशत, यूरेनियम 28 प्रतिशत और उर्वरक 21 प्रतिशत बढ़ा है। हालांकि, सेवा क्षेत्र में अमेरिका का पलड़ा भारी है। 2024 में रूस को अमेरिकी सेवाओं का निर्यात 1.3 बिलियन डॉलर और आयात 384 मिलियन डॉलर था। यानी अमेरिका को 873 मिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष मिला है। ये बीते साल के मुकाबले 43 प्रतिशत ज्यादा है।
वस्तुएं
रूस से रबर से लेकर परमाणु सामान तक खरीद रहा अमेरिका
आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका रूस से कई तरह के सामान खरीद रहा है। 2024 में अमेरिका ने रूस से 89.4 मिलियन डॉलर के लकड़ी और लकड़ी के उत्पाद, 80.8 मिलियन डॉलर के मशीनरी और रिएक्टर, 39.3 मिलियन डॉलर के पशु आहार, 37.3 मिलियन डॉलर की धातुएं, 13.1 मिलियन डॉलर के लोहा और इस्पात, 10 मिलियन डॉलर के रबर, प्लास्टिक और रसायन, 10 मिलियन डॉलर के जूते, वस्त्र, खिलौने और घड़ियां और पशु खालों से लेकर पुस्तकें भी खरीदीं।
यूरोपीय संघ
यूरोपीय संघ का दोहरा चरित्र भी उजागर
व्यापार को लेकर भारत को ज्ञान दे रहा यूरोपीय संघ खुद रूस से भारत से ज्यादा व्यापार कर रहा है। पिछले साल यूरोपीय संघ और रूस के बीच 92.2 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था, जबकि भारत-रूस के व्यापार का आंकड़ा 66-70 बिलियन डॉलर था। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से यूरोपीय संघ रूसी तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का सबसे बड़ा खरीदार है। वहीं, नाटो का सदस्य तुर्की रूसी तेल उत्पादों का सबसे बड़ा खरीदार है।
भारत
भारत ने कहा था- अमेरिका भी तो रूस से यूरेनियम-खाद खरीद रहा
ट्रंप की धमकियों के जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत को निशाना बनाना गलत है और हम अपने राष्ट्रीय हितों के लिए हर जरूरी कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा था, "अमेरिका अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, EV उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायन का आयात जारी रखे हुए है। यही हाल EU का है। ऐसे में भारत को निशाना बनाना अनुचित और तर्कहीन है।"