#NewsBytesExplainer: 2 दिवसीय चीन दौर पर व्लादिमीर पुतिन, कितनी अहम है यात्रा?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2 दिवसीय चीन दौरे पर हैं। उन्होंने इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की, जिसकी दुनियाभर में चर्चाएं हैं। यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास युद्ध की पृष्ठभूमि में पुतिन की इस यात्रा को बेहद अहम माना जा रहा है। हाल ही में पुतिन ने 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति पद की शपथ ली है और पहला विदेशी दौरा ही चीन का कर रहे हैं। आइए जानते हैं उनकी ये यात्रा क्यों अहम है।
कैसा रहेगा पुतिन का दौरा?
पुतिन आज चीन पहुंच चुके हैं। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों ने उन्हें सलामी दी। 'द ग्रेट हॉल आफ पीपल' इमारत में हुए भव्य समारोह में रेड कार्पेट पर पुतिन की अगुवाई खुद जिनपिंग ने की। रूस ने कहा कि दोनों नेता अपनी व्यापक साझेदारी और रणनीतिक सहयोग पर चर्चा करेंगे, रूसी-चीनी सहयोग के विकास के प्रमुख क्षेत्रों को परिभाषित करेंगे और अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
कितना अहम है दौरा?
पुतिन करीब 6 महीने में ही दूसरी बार चीन का दौरा कर रहे हैं। रूस पर आर्थिक प्रतिबंध, यूक्रेन युद्ध, अर्थव्यवस्था और पश्चिमी देशों के खिलाफ रणनीतिक प्रदर्शन को देखते हुए इस यात्रा के कई मायने हैं। फरवरी, 2022 में चीन और रूस ने 'नो लिमिट्स' पार्टनरशिप का ऐलान किया था। इसके बाद मार्च, 2023 में जब जिनपिंग ने रूस का दौरा किया था तो उन्होंने इसे संबंधों में एक 'नए युग की शुरुआत' बताया था।
अर्थव्यवस्था के नजरिए से कितनी अहम यात्रा?
यूक्रेन युद्ध के चलते रूस कई अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। हाल ही में अमेरिका ने बीजिंग और हांगकांग स्थित बैंकों और मॉस्को के साथ काम करने वाली कंपनियों के खिलाफ नए प्रतिबंधों की घोषणा की है। ऐसे में रूस का चीन के साथ व्यापार बढ़ा है। यही वजह है कि पुतिन अपने साथ एक बड़ा व्यापारी प्रतिनिधिमंडल भी लाए हैं, जिसमें वित्त मंत्री एंटोन सिलुआनोव और केंद्रीय बैंक के गवर्नर एलविरा नबीउलीना शामिल हैं।
सैन्य नजरिए से कितनी अहम यात्रा?
माना जाता है कि चीन यूक्रेन युद्ध में खुलकर रूस का साथ नहीं देता है, लेकिन पर्दे के पीछे से समर्थन देता है। चीन ने रूस को हथियार नहीं दिए हैं, लेकिन दोहरे इस्तेमाल वाले उपकरण और तकनीक दे रहा है। पुतिन के साथ नवनियुक्त रूसी रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव, सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी चीन दौरे पर हैं। दोनों देशों के बीच सैन्य मोर्चे पर समझौते होने की उम्मीद है।
पश्चिम के खिलाफ एकजुटता का प्रदर्शन
पुतिन की यात्रा पश्चिमी देशों के खिलाफ एकजुटता का प्रतीकात्मक प्रदर्शन भी है। ये रूस और चीन के राजनयिक संबंधों की 75वीं सालगिरह पर हो रही है। हाल ही में जिनपिंग ने फ्रांस, सर्बिया और हंगरी की यात्रा की थी। इसे यूरोप के बाजार में चीनी कंपनियों की पहुंच सुनिश्चित करने और पश्चिम में अपनी छवि सुधारने के प्रयास के तौर पर देखा गया था। अब पुतिन की यात्रा को दोनों देशों का साझा शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है।
क्या बोले दोनों नेता?
पुतिन ने जिनपिंग की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्रीय हितों और आपसी विश्वास के आधार पर रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी के निर्माण में जिनपिंग ने अहम भूमिका निभाई है। वहीं, जिनपिंग ने कहा, "आगे की नई यात्रा में चीन हमेशा रूस का अच्छा पड़ोसी, अच्छा दोस्त और अच्छा साझेदार बनने, दोनों के बीच पीढ़ी-दर-पीढ़ी मित्रता को मजबूत करने और संयुक्त रूप से अपने-अपने देशों का कायाकल्प करने के साथ-साथ न्याय को कायम रखने के लिए तैयार है।"