चीन: महीनों पहले कोरोना वायरस को मात देने वाले दो मरीज फिर से हुए संक्रमित
चीन में कोरोना वायरस को मात दे चुके दो मरीजों को महीनों बाद फिर से संक्रमित पाया गया है। इनमें शामिल एक मरीज ने छह महीने पहले और दूसरे मरीज ने अप्रैल में कोरोना वायरस को मात दी थी। इन दो मामलों ने कोरोना वायरस को मात दे चुके लोगों के फिर से संक्रमित होने की चिंताओं को फिर से बढ़ा दिया है। महामारी से बाहर निकलने और वैक्सीनों के नजरिए से ये मुद्दा बेहद अहम है।
ये दो मरीज हुए फिर से संक्रमित
चीन में जो दो मरीज फिर से संक्रमित हुए हैं, उनमें हुबेई प्रांत में रहने वाली एक 68 वर्षीय बुजुर्ग महिला शामिल है जिसे रविवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया। छह महीने पहले भी उन्हें कोरोना से संक्रमित पाया गया था और तब वे इस खतरनाक वायरस को हराने में कामयाब रहीं थीं। वहीं शंघाई में भी अप्रैल में कोरोना वायरस को हरा ठीक हो चुके एक शख्स को सोमवार को फिर से संक्रमित पाया गया।
मरीजों का कोई भी परिजन संक्रमित नहीं
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, दोनों मरीजों के किसी भी परिजन को कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं पाया गया है, लेकिन उन्हें क्वारंटाइन जरूर कर दिया गया है। पुरुष मरीज में संक्रमण के कोई लक्षण नहीं हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इसलिए महीनों बाद संक्रमित पाए जा रहे मरीज
बता दें कि इन दो मामलों से पहले कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिनमें कोरोना वायरस को मात दे चुके मरीजों को फिर से पॉजिटिव पाया गया है। हालांकि ऐसे मरीजों की संख्या बहुत अधिक नहीं है। वैज्ञानिकों ने ठीक हो चुके मरीजों के शरीर में मृत वायरस के कण बने रहने और इनकी वजह से टेस्ट के नतीजे पॉजिटिव आने की बात कही है। उनका कहना है कि ये मृत वायरस किसी को संक्रमित नहीं कर सकता।
इसलिए अहम है इम्युनिटी का सवाल
कोरोना वायरस के खिलाफ इम्युनिटी कितने समत तक रहती है, यह सवाल इस महामारी को मात देने और वैक्सीनों के नजरिए से बेहद अहम है। अगर कोरोना वायरस के खिलाफ इम्युनिटी कुछ महीने ही टिकती है तो इस महामारी को हराना बेहद कठिन होगा और वैक्सीनें भी ज्यादा असरदार साबित नहीं होंगी। वहीं अगर इम्युनिटी लंबे समय तक रहती है तो वैक्सीनों की मदद से इस महामारी को हराना आसान होगा।
इम्युनिटी प्रदान करने में टी-सेल्स की अहम भूमिका
कुछ स्टडीज में शरीर में कोरोना वायरस की एंटीबॉडीज का स्तर तीन महीने बाद कम होने की बात सामने आई है। इससे मरीजों के कुछ महीनों बाद फिर से संक्रमित होने की आशंका पैदा होती है। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि शरीर से कोरोना वायरस की एंटीबॉडीज भले ही खत्म हो जाएं, लेकिन इम्युन सिस्टम में ही शामिल टी-सेल्स लंबे समय तक वायरस को याद रखती हैं और ये लंबे समय तक इम्युनिटी प्रदान कर सकती हैं।