आतंकी फंडिंग रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा पाया पाकिस्तान, हुआ ब्लैकलिस्ट
मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के एशिया-पैसिफिक ग्रुप (APG) ने पाकिस्तान को 'इन्हैंस्ड ब्लैकलिस्ट' में डाल दिया है। अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने के वैश्विक मानकों पर खरा नहीं उतरा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके लिए APG ने 40 मानक निर्धारित किए थे। पाकिस्तान इनमें से 32 मानकों पर खरा उतरने में असफल रहा है। इसका FATF के फैसले पर बड़ा असर होगा।
पाकिस्तान ने बुधवार को सौंपी थी रिपोर्ट
इन दिनों ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में APG की बैठक चल रही है। इसमें पाकिस्तान द्वारा पिछले पांच सालों में अपने सिस्टम, वित्त और बीमा सेवाओं और क्षेत्रों में उठाए गए कदमों की समीक्षा की गई थी। पाकिस्तान ने बुधवार को 27-सूत्रीय रिपोर्ट सौंपी थी। इसकी समीक्षा में APG को पता चला कि पाकिस्तान कई क्षेत्रों में संतोषजनक काम नहीं कर पाया है। पाकिस्तान के कदमों से असंतुष्ट APG ने उसे अपने विस्तृत ब्लैकलिस्ट में डाल दिया है।
कई मानकों पर खरा नहीं उतरा पाकिस्तान
APG ने पाकिस्तान द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग रोकने और आतंकवादियों के वित्तपोषण के खिलाफ मजबूत कदम नहीं उठा पाया है। इसके अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदम तय मानकों के अनुरूप नहीं है।
अब आगे क्या होगा?
APG के फैसला FATF की किसी भी कार्रवाई के लिए बड़ा आधार बनेगा। अक्तूबर में FATF की बैठक होगी। इसमें APG के इस फैसले और पाकिस्तान द्वारा तब तक उठाए गए कदमों पर चर्चा होगी। अगर पाकिस्तान इस दौरान पुख्ता कदम नहीं उठा पाता है तो FATF अगली कार्रवाई पर विचार करेगी। यह कार्रवाई पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की भी हो सकती है। ऐेसे में पाकिस्तान के पास ब्लैकलिस्ट होने से बचने के लिए अक्तूबर तक का समय है।
ब्लैकलिस्ट होने पर होंगे ये नुकसान
अगर FATF पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर देता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर इसके गहरे आर्थिक प्रभाव होंगे। इसके बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिलने वाले 6 अरब डॉलर के कर्ज पर भी रोक लग सकती है।
आर्थिक संकट से जूझ रहा है पाकिस्तान
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय गहरे संकट से गुजर रही है। सरकार ने इसे सुधारने के लिए कड़े कदम उठाए थे, जिसके चलते रोजमर्रा की चीजों के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो गई थी। इसके बाद लोग सरकार के विरोध में सड़कों पर उतर आए थे। ऐसे में अगर FATF अगर पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में डालती है तो उसके आर्थिक संकट और गहरा जाएंगे। इससे निवेश से लेकर उसकी कारोबारी साख तक प्रभावित होगी।
क्या है FATF?
FATF एक अंतर-सरकारी संस्था है, जिसकी स्थापना सन 1989 में हुई थी। इसका मकसद मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग समेत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के लिए दूसरों खतरों को रोकने के लिए कानूनी और दूसरे कदम उठाना है। यह समय-समय पर मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग और विनाश के हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए अपनी सिफारिशें देती है। साथ ही यह उन सिफारिशों के लागू होने पर भी नजर रखती है। साल में तीन बार इसकी बैठक होती है।
APG में है 41 सदस्य
एशिया-पैसिफिक ग्रुप (APG) FATF की एक क्षेत्रीय संगठन है। इसकी स्थापना 1995 में हुई थी। यह ग्रुप FATF की तर्ज पर एशिया-पैसिफिक देशों में मनी-लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करता है। फिलहाल इसके 41 सदस्य है।