#NewsBytesExplainer: पाकिस्तान चुनाव में कौन हैं प्रमुख उम्मीदवार और भारत को लेकर उनका क्या रुख?
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव होना है। भारी राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल, सैन्य हस्तक्षेप और विपक्षी नेताओं को जेल में भेजे जाने की वजह से इन चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। इस चुनाव में नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (PML-N) की जीत लगभग तय मानी जा रही है। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान के चुनावों में प्रमुख उम्मीदवार कौन हैं और भारत को लेकर उनका नजरिया कैसा है।
कौन-सी प्रमुख पार्टियां मैदान में?
पाकिस्तान चुनाव में 40 से ज्यादा पार्टियां अपनी किस्मत आजमा रही हैं। हालांकि, मुख्य मुकाबला केवल 3 पार्टियों में है, नवाज की PML-N, इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) और बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP)। इसके अलावा अलफिंदर अली खान की अवामी नेशनल पार्टी (ANP), मुत्तिहाद कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (MQM-P), जमात-ए-इस्लामी (JI), जमीयत-ए-उलेमा इस्लाम (JUI-F), पखतूनख्वा मिली अवामी पार्टी (PkMAP), बलोचिस्तान अवामी पार्टी (BAP) और अवामी वर्कर्स पार्टी (AWP) भी मैदान में है।
नवाज शरीफ- 4 साल के निर्वासन के बाद प्रधानमंत्री बनना तय
नवाज का पाकिस्तान का अगला प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा है। भ्रष्टाचार के मामलों में सजा होने के बाद वे 2019 में इलाज के लिए लंदन चले गए थे। हाल ही में 4 साल के निर्वासन के बाद नवाज पाकिस्तान लौटे हैं और ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना नवाज का समर्थन कर रही है और इस वजह से उनकी जीत तय है।
भारत को लेकर क्या है नवाज का रुख?
माना जाता है कि भारत के साथ रिश्तों को लेकर नवाज का रवैया सुधारवादी रहा है। उनकी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में 'भारत के साथ शांति के संदेश' का वादा किया है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली की शर्त रखी है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान नवाज भारत आने वाले आखिरी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री थे। उन्हीं के कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी भी पाकिस्तान गए थे।
इमरान खान- लोकप्रिय, लेकिन चुनाव लड़ने पर रोक
आम जनता का समर्थन इमरान के साथ माना जाता है, लेकिन वे कई मामलों में सजा पा चुके हैं और फिलहाल जेल में हैं। इमरान के चुनाव लड़ने पर भी रोक है। उनकी पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता हिरासत में हैं। ऐसे में लोकप्रिय समर्थन होने के बावजूद इमरान के लिए सत्ता का सफर बेहद मुश्किल है। माना जा रहा है कि सहानुभूति का मुद्दा इमरान के पक्ष में काम कर सकता है।
भारत को लेकर क्या है इमरान का रुख?
इमरान का रुख भी भारत के प्रति सकारात्मक रहा है। वे कई बार भारत की आर्थिक तरक्की और विदेश नीति की खुलकर तारीफ कर चुके हैं। इमरान ने कश्मीर मुद्दे पर भी नरम रुख अपनाया था और भारत के साथ बातचीत की पेशकश की थी। 2019 में इमरान ने प्रधानमंत्री मोदी को शांति को एक मौका देने का आग्रह किया था और पुलवामा हमले के संबंध में खुफिया जानकारी पर कार्रवाई करने की तत्परता व्यक्त की थी।
बिलावल भुट्टो जरदारी- विरासत में मिली राजनीति
पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और पाकिस्तान के 11वें राष्ट्रपति रहे आसिफ अली जरदारी के बेटे बिलावल भुट्टो भी मैदान में हैं। उन्हें राजनीति विरासत में मिली है। बिलावल पिछली गठबंधन सरकार में विदेश मंत्री रहे हैं। कहा जा रहा है कि अगर गठबंधन सरकार बनती है तो बिलावल अहम साबित हो सकते हैं। हालांकि, पिछले कुछ सालों में उनकी पार्टी का जनाधार कम हुआ है और उनकी केवल सिंध प्रांत में ही पकड़ मानी जाती है।
प्रधानमंत्री मोदी को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं बिलावल
बिलावल भी भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को बेहतर करने के पक्षधर माने जाते हैं। हालांकि, अपने अनर्गल और विवादित बयानों की वजह से उनकी छवि अपरिपक्व नेता के तौर पर बन चुकी है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को 'कसाई' कहा था, जिस पर भारत ने भी आपत्ति जताई थी। वे जम्मू-कश्मीर और भारत की G-20 अध्यक्षता पर भी विवादित बयान दे चुके हैं। हालांकि, उनकी पार्टी ने भारत के साथ संबंधों को सामान्य करने की वकालत की है।
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत की तरह पाकिस्तान में भी 2 सदन हैं। इसके निचले सदन को नेशनल असेंबली कहा जाता है, जिसमें 342 सीटें हैं। इनमें से 272 सीटों पर सीधे चुनाव होता है, जबकि 70 सदस्यों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व के तहत चुना जाता है। सदन में जिस पार्टी के सबसे ज्यादा सदस्य होते हैं, वो अपना प्रधानमंत्री चुनती है। पाकिस्तान में बैलेट पेपर से चुनाव होता है और आमतौर पर चुनाव वाली रात ही नतीजे भी आ जाते हैं।