निपाह वायरस की पहली वैक्सीन की उम्मीदें जगीं, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने शुरू किए मानव परीक्षण
क्या है खबर?
भारत समेत दक्षिण एशिया में कई लोगों की जान लेने वाले खतरनाक निपाह वायरस के खिलाफ जल्द ही वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने इस वायरस के खिलाफ बनाई गई वैक्सीन के मानव परीक्षण शुरू कर दिए हैं। अगर ये सफल रहे तो निपाह वायरस से निपटने के लिए ये दुनिया की पहली वैक्सीन होगी।
इस वैक्सीन को ChAdOx1 NipahB नाम दिया गया है और ये ऑक्सफोर्ड द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन जैसी तकनीक पर ही आधारित है।
परीक्षण
51 लोगों पर शुरू हुआ परीक्षण
ऑक्सफोर्ड ने पिछले हफ्ते 18 से 55 साल की उम्र के लगभग 51 लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण शुरू किया।
इस चरण में लोगों में वैक्सीन की सुरक्षा और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की जांच की जाएगी। ये परीक्षण 18 महीने तक चलने की उम्मीद है।
विश्वविद्यालय के महामारी विज्ञान संस्थान के प्रमुख डेम सारा ने कहा कि कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करने का हमारा काम अब हमें निपाह वैक्सीन तैयार करने में मदद करेगा।
बयान
वैज्ञानिक बोले- निपाह से लड़ने की राह में ये मील का पत्थर
कॉलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन (CEPI) में वैक्सीन अनुसंधान के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर इन-क्यू यून ने कहा, "निपाह में महामारी फैलाने की ताकत है। इस वायरस के पीड़ित उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां 2 अरब से अधिक लोग रहते हैं। यह परीक्षण ऐसे समाधान की पहचान करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो प्रकोप को रोक सकता है और दुनिया को महामारी से लड़ने के लिए तैयार करने में मदद कर सकता है।"
केरल
सितंबर में केरल में फैला था निपाह का संक्रमण
बीते साल सितंबर में केरल में निपाह वायरस के 6 मरीज सामने आए थे, जिनमें से 2 की मौत हो गई थी।
भारत में पहली बार इसके मामले 2018 में केरल के ही कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में सामने आए थे। तब 21 लोगों की मौत हो गई थी।
इसके बाद 2019 और 2021 में भी यहां निपाह वायरस की चपेट में आकर 2 लोगों की मौत हो गई थी।
वायरस
क्या है निपाह वायरस?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस टेरोपस जीनस नाम के चमगादड़ से फैलता है। ये वायरस चमगादड़ के मल-मूत्र में मौजूद रहते हैं। इसके अलावा चमगादड़ के लार और शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ में भी यह वायरस पाया जाता है।
अब ये वायरस सुअर, कुत्ते, बिल्ली, बकरी जैसे जानवरों में भी फैलने लगा है। सबसे पहले निपाह वायरस के मामले 1998 और 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में देखे गए थे।
खतरनाक
कितना खतरनाक है निपाह वायरस?
निपाह वायरस से संक्रमित मरीजों में 3 से 14 दिन तक बुखार और सिरदर्द जैसी शिकायतें रहती हैं। कभी-कभी ये लक्षण इतने तीव्र होते हैं कि 24 से 48 घंटों में मरीज को कोमा में पहुंचा सकते हैं।
शुरुआती दौर में मरीजों को सांस लेने में समस्या होती है। कई मरीजों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी सामने आई हैं।
साल 1998-99 में इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे, जिनमें से करीब 40 प्रतिशत की मौत हो गई थी।