इबोला जैसे मारबर्ग वायरस के कारण अफ्रीकी देश गिनी में 9 लोगों की मौत
अफ्रीकी देश इक्वेटोरियल गिनी में मारबर्ग वायरस के कारण नौ लोगों की मौत होने का मामला सामने आया है। देश के स्वास्थ्य मंत्री मितोहा ओंडोओ अयाकाबा ने बताया कि इबोला वायरस की तरह मारबर्ग वायरस से भी लोग जानलेवा रक्तस्रावी बुखार से पीड़ित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक प्रांत में लोगों को क्वारंटीन किया गया है। गौरतलब है कि पिछले साल घाना में भी मारबर्ग वायरस के मामले सामने आ चुके हैं।
WHO से परामर्श के बाद लोगों को किया गया क्वारंटीन
इक्वेटोरियल गिनी के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सभी मौतें 7 जनवरी से 7 फरवरी के बीच दर्ज की गईं, जबकि एक संदिग्ध मौत की जांच जारी है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र के साथ परामर्श के बाद कीएनटेम प्रांत और उसके पड़ोसी जिले में स्वास्थ्य चेतावनी घोषित करने के बाद लोगों को लॉकडाउन की तरह क्वारंटीन किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि क्वारंटीन के चलते 4,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
WHO ने गिनी भेजीं अपनी विशेष टीमें
WHO ने अपने बयान में कहा कि नौ लोगों की मौत के अलावा कीएनटेम में 16 अन्य लोगों में बुखार और खून की उल्टी सहित संदिग्ध लक्षण दिखाई दिए हैं। WHO ने आगे बताया कि इक्वेटोरियल गिनी में स्थानीय अधिकारियों की मदद करने के लिए विशेष टीमों को भेजा गया है। गौरतलब है कि इससे पहले मारबर्ग वायरस के मामले अंगोला, कांगो, केन्या, युगांडा, दक्षिण अफ्रीका जैसे कई अफ्रीकी देशों में भी मिल चुके हैं।
क्या है मारबर्ग वायरस?
मारबर्ग वायरस 'फिलोवायरस' फैमिली से संबंध रखता है। बेहद खतरनाक इबोला वायरस भी इसी फैमिली से आता है और ये दोनों वायरस कई मामलों में एक जैसे हैं। 1967 में जिन तीन जगहों पर इस वायरस के पहले मामले सामने आए थे, उनमें जर्मनी का मारबर्ग भी शामिल था और वहीं से इस वायरस को अपना नाम मिला है। इसके लक्षण दिखने में 2-21 दिन लग सकते हैं। गंभीर मरीजों की मौत लक्षण दिखने के आठ-नौ दिन बाद होती है।
कैसे फैलता है मारबर्ग वायरस?
शुरूआत में चमगादड़ों की गुफाओं में ज्यादा लंबे समय तक रहने से मारबर्ग वायरस इंसानों में आता है। यह इंसानों और बंदरों जैसी प्रजातियों को संक्रमित कर सकता है। मारबर्ग इंसानों से इंसानों में भी फैल सकता है। संक्रमित इंसान के खून, पसीने, अंगों और शरीर से निकलने वाली अन्य चीजों के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है। अंतिम संस्कार में संक्रमित के संपर्क में आने वाले लोग भी इससे संक्रमित हो सकते हैं।