चीन में फैल रहा एक और वायरल संक्रमण, अब तक सात की मौत
चीन में वायरस से पैदा होने वाली एक और संक्रामक बीमारी फैल रही है और अब तक 60 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से सात की मौत हो गई है। वैज्ञानिकों ने पशुओं के शरीर पर चिपकने वाले किलनी (टिक) कीड़े के जरिए इस वायरस के इंसानों में फैलने की संभावना जाहिर की है। उन्होंने वायरस के एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकने की संभावना को लेकर भी चेतावनी जाहिर की है
फैल रही नई बीमारी का नाम SFTS
चीन में फैल रही इस बीमारी का नाम सीवर फीवर विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (SFTS) है। ये बीमारी बुन्यावायरस फैमिली से संबंध रखने वाले एक फ्लेबोवायरस की वजह से होती है। ये वायरस मुख्यतौर पर टिक जैसे कीड़ों के काटने से इंसानों में फैलता है। इसे सबसे पहले 2010 में चीन में पाया गया था और इसके बाद जापान और कोरिया में भी इसके मामले सामने आए हैं। वायरस की मृत्यु दर 10-16 प्रतिशत और कई जगहों पर 30 प्रतिशत है।
पहले छह महीने में 37, फिर 23 मामले
चीन के अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' के अनुसार, पहले पूर्वी चीन के जिआंगसु प्रांत में इस साल की पहली छिमाही में 37 से ज्यादा लोगों को SFTS से संक्रमित पाया गया। इसके बाद पूर्वी चीन के अनहुई प्रांत में 23 लोगों को संक्रमित पाया गया। जिआंगसु की राजधानी नानजियांग में वायरस से संक्रमित एक महिला में शुरू में खांसी और बुखार के लक्षण दिखाई दिए। इसके अलावा उसके शरीर में ल्यूकोसाइट और प्लेटलेट कम पाई गईं। वह ठीक हो चुकी है।
मरीजों के खून और बलगम के जरिए फैल सकता है संक्रमण- वैज्ञानिक
अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, जिआंगसु और अनहुई में अब तक सात लोग SFTS की चपेट में आकर दम तोड़ चुके हैं। वैज्ञानिकों ने टिक्स के जरिए इंसानों में संक्रमण के प्रवेश करने की आशंका जाहिर की है। झेजियांग यूनिवर्सिटी के डॉक्टर शेंग जिफांग ने कहा कि एक इंसान से दूसरे इंसान में संक्रमण फैलने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता और मरीज खून और बलगम के जरिए संक्रमण फैला सकते हैं।
घबराने की जरूरत नहीं- डॉक्टर्स
डॉक्टरों ने कहा है कि ये वायरस मुख्य तौर पर टिक के काटने से फैलता है और अगर लोग इसे लेकर सावधान रहते हैं तो इस वायरस को लेकर किसी भी तरह की दहशत की जरूरत नहीं है।
ये हैं SFTS के लक्षण
वैज्ञानिकों के अनुसार, SFTS के मरीजों में तेज बुखार के साथ उल्टी और डायरिया जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। इसमें मरीज के खून में प्लेटलेट्स की संख्या भी घटने लगती है और व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्याओं में भी कमी आती है। अधिक बीमार होने पर मरीज का लिवर एंजाइम बढ़ जाता है और शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। चीन ने 2011 में ही इस वायरस को अलग कर लिया था।