मोहन भागवत ने बांग्लादेश के हालातों पर जताई चिंता, हिंदुओं को दिया संगठित होने का संदेश
क्या है खबर?
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास (27) की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के बाद वहां के हालातों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बांग्लादेश की घटनाओं का बंगाल पर प्रभाव पड़ रहा है, लेकिन अगर हिन्दू संगठित हो जाए, तो हालात बदलने में वक्त नहीं लगता। उन्होंने लिव-इन रिलेशनशिप पर भी अहम बयान दिया।
बयान
भागवत ने क्या दिया बयान?
भागवत ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि बांग्लादेश की घटनाओं का पश्चिम बंगाल पर प्रभाव पड़ रहा है। जो आप सब सोच रहे हैं, वही मैं भी सोच रहा हूं, लेकिन अगर हिंदू एकजुट होकर खड़े हो जाएं, तो चीजों को (हालात) बदलने में वक्त नहीं लगेगा।" उन्होंने कहा, "हिंदुओं को एकजुट होना होगा। हमें अपनों के साथ खड़े रहना होगा। मैं राजनीतिक बदलाव के बारे में नहीं सोचता, यह मेरा कर्तव्य नहीं है।"
मंदिर
सरकार का काम मंदिर बनाना नहीं- भागवत
मुर्शिदाबाद में हुमायूं कबीर द्वारा मस्जिद बनवाने और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार द्वारा जगन्नाथ मंदिर के निर्माण से जुड़े विवाद पर भागवत ने अहम बयान दिया। उन्होंने कहा, "सरकार के पैसे से मंदिर बनाना उचित नहीं है। सरकार को न तो मंदिर बनाना चाहिए और न ही मस्जिद। अयोध्या का राम मंदिर भी सरकार द्वारा नहीं बनाया गया है, वह समाज के सहयोग से बना है। इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।"
दावा
RSS नहीं है मुस्लिम विरोध
भागवत ने RSS के मुस्लिम विरोधी होने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "जिसे लगता है कि RSS मुस्लिम विरोधी है, वो यहां आकर देखे। बहुत से लोग यहां आए और देखने के बाद उन्होंने स्वीकार किया कि संघ बिल्कुल भी मुस्लिम विरोधी नहीं है।" उन्होंने मंदिर-मस्जिद विवादों पर विराम लगाने की वकालत करते हुए कहा, "अयोध्या का फैसला कोर्ट के आधार पर हुआ था, लेकिन अब हर जगह मंदिर-मस्जिद विवाद बंद होना चाहिए।"
लिव-इन
लिव-इन रिलेशनशिप पर क्या बोले भागवत?
आधुनिक जीवनशैली और लिव-इन रिलेशनशिप पर भागवत ने चिंता व्यक्त करते हुए भागवत ने कहा, "जहां तक महिलाओं की प्रवृत्ति और विवाह न करने वाली बातें हैं, आप जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं हैं, यह ठीक नहीं है। परिवार, शादी सिर्फ शारीरिक संतुष्टि का जरिया नहीं है। देश की असली बचत और सोना परिवारों के पास ही है। इसलिए हमारा परिवार ही हमारी सांस्कृति, सामाजिक और आर्थिक इकाई है। अपने देश और अपनी परंपरा को बनाए रखना जरूरी है।"
संतान
भागवत ने बच्चों की संख्या पर दिया अहम बयान
भागवत ने कहा, "एक दंपति के कितने बच्चे होने चाहिए, यह सवाल परिवार, दूल्हा-दुल्हन और समाज का मामला है। इसका कोई फॉर्मूला नहीं दिया जा सकता है।" उन्होंने कहा, "मैंने विशेषज्ञों से बात करके कुछ जानकारी हासिल की है। वे कहते हैं कि अगर शादी जल्दी यानी 19-25 साल के बीच होती है और 3 बच्चे होते हैं, तो माता-पिता और बच्चों की सेहत अच्छी रहती है। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि 3 बच्चे होने से लोग अहंकार प्रबंधन सीखते हैं।"