
भारत से ज्यादा रूसी तेल खरीद रहा यूरोपीय संघ, डोनाल्ड ट्रंप की दोहरी नीति उजागर
क्या है खबर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 2 बार 25-25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। इसके पीछे उन्होंने भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीदी को सबसे बड़ी वजह बताया है। हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि रूस से तेल खरीदने के मामले में यूरोपीय संघ (EU) भारत से भी आगे है, जबकि ट्रंप ने EU को टैरिफ में छूट दे रखी है। ये आंकड़े टैरिफ पर ट्रंप के दोहरे मापदंड को उजागर करते हैं।
आंकड़े
रूस के कुल तेल निर्यात का 26 प्रतिशत EU देश खरीद रहे
ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र (CREA) के आंकड़ों के अनुसार, यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस के कुल कच्चे तेल निर्यात में EU का हिस्सा 26 प्रतिशत है, जबकि भारत का योगदान केवल 13 प्रतिशत है। इसके अलावा फिलहाल रूस के आधे से अधिक तेल शिपमेंट का परिवहन G7+ देशों के टैंकरों द्वारा किया जा रहा है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि यह रिपोर्ट भारत को अलग-थलग करने के पश्चिम के दोहरे मापदंड को रेखांकित करती है।
निर्यात
चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार
CREA के अनुसार, युद्ध शुरू होने के बाद से रूस ने जीवाश्म ईंधन निर्यात से 923 बिलियन यूरो कमाए हैं। इनमें तेल, गैस, कोयला और परिष्कृत ईंधन शामिल हैं। कुल 923 बिलियन यूरो में से 212 बिलियन यूरो EU के देशों से, 121 बिलियन यूरो भारत से और 200 बिलियन यूरो से ज्यादा चीन से कमाए हैं। चीन रूस का शीर्ष ऊर्जा खरीदार बना हुआ है, जो दोनों देशों के निकट संबंधों की पुष्टि करता है।
बयान
अधिकारी बोले- आंकड़ों ने पश्चिमी पाखंड उजागर किया
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए सरकारी सूत्रों ने कहा, "यह आंकड़े पश्चिमी पाखंड को उजागर करते हैं। पश्चिम रूस के साथ ऊर्जा संबंधों के लिए भारत को निशाना बना रहा है, जबकि अन्य देशों के सहयोग को नजरअंदाज कर रहा है। EU रूस से न केवल ऊर्जा, बल्कि उर्वरक, रसायन, लोहा, इस्पात और परिवहन उपकरण भी आयात करता रहता है। ये आंकड़े भारत द्वारा अपने नागरिकों के लिए किफायती ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने की पुष्टि करते हैं।"
भारत
भारत ने कहा था- अमेरिका खुद रूस से सामान खरीद रहा
टैरिफ पर राष्ट्रपति ट्रंप की धमकियों के जवाब में भारत ने कहा था, "अमेरिका अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायन का आयात जारी रखे हुए है। यही हाल यूरोपीय संघ का भी है। ऐसे में भारत को निशाना बनाना अनुचित और तर्कहीन है। भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा।"