जानिए बृहस्पति ग्रह के बारे में कुछ रोचक और अनोखी बातें
इस ब्रह्मांड में कई सौरमंडल हैं और हर सौरमंडल में कई ग्रह हैं। अगर हम अपने सौरमंडल की बात करें, तो इसमें आधिकारिक तौर पर आठ ग्रह हैं। बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून हमारे सौरमंडल के ग्रह हैं। बृहस्पति इनमें सबसे बड़ा है। आज हम आपको बृहस्पति ग्रह के बारे में कुछ ऐसे रोचक तथ्य और अनोखी बातें बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही आप पहले से जानते होंगे। आइए जानें।
गैस के बादलों से बना है बृहस्पति ग्रह
बृहस्पति का द्रव्यमान (Mass) सूर्य के हज़ारवें भाग के बराबर और सौरमंडल में मौजूद कुल ग्रहों के द्रव्यमान का ढाई गुना है। इसका द्रव्यमान 18,98,130 ख़रब किलोग्राम (पृथ्वी से 317.83 गुना ज़्यादा) है। बृहस्पति का नाम रोमन सभ्यता के देवता जूपिटर के नाम पर रखा गया था। इसे गैस का दानव भी कहा जाता है, क्योंकि इस ग्रह की अपनी कोई ज़मीन नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह से गैस के बादलों से बना है।
पृथ्वी को विनाशकरी हमलों से बचाता है बृहस्पति
बृहस्पति ग्रह 90% हाईड्रोजन, 10% हिलियम और कुछ मात्रा में मिथेन, पानी, अमोनिया और चट्टानी कणों से मिलकर बना है। इसे सौरमंडल का 'वैक्यूम क्लीनर' भी कहा जाता है, क्योंकि यह पृथ्वी को विनाशकरी हमलों से बचाता है। अगर बृहस्पति ग्रह हमारे सौरमंडल में नहीं होता, तो शायद पृथ्वी का अस्तित्व ही नहीं होता। दरअसल, बृहस्पति पृथ्वी की तरफ़ बढ़ने वाली चट्टानों को अपने गुरुत्वाकर्षण में फँसा लेता है, जिससे वो पृथ्वी से नहीं टकराते हैं।
बहुत ही ठंडा ग्रह है बृहस्पति
बृहस्पति बहुत ही ठंडा ग्रह है और इसका औसत तापमान -145 डिग्री सेल्सियस है। आपको जानकर हैरानी होगी कि बृहस्पति ग्रह इतना बड़ा है कि अगर सौरमंडल के अन्य ग्रहों को भी आपस में जोड़ दिया जाए, तो भी वे बृहस्पति से छोटे ही होंगे। बड़ा होने की वजह से ही इसे देखने के लिए किसी यंत्र की ज़रूरत नहीं पड़ती है, बृहस्पति को खुली आँखों से भी बड़ी आसानी से देखा जा सकता है।
बृहस्पति पर केवल नौ घंटे 55 मिनट का होता है एक दिन
बृहस्पति का एक दिन बाक़ी सभी ग्रहों के दिन से छोटा होता है, क्योंकि यह केवल नौ घंटे 55 मिनट में अपनी धूरी के समक्ष एक चक्कर पूरा कर लेता है। तेज़ी से घूमने की वजह से यह थोड़ा चपटा दिखाई देता है।
बृहस्पति पर 350 सालों से चल रहा है एक बवंडर
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बृहस्पति पर पिछले 350 सालों से एक बवंडर चल रहा है, जो लाल बादलों से बना हुआ है। यह बवंडर इतना बड़ा है कि इसमें तीन पृथ्वी समा सकती है। चित्रों में देखने पर यह एक लाल धब्बे की तरह नज़र आता है, जिसे बृहस्पति की लाल आँख भी कहते हैं। असल में यह एक उच्च दबाव वाला क्षेत्र है, जिसके बादल कुछ ज़्यादा ही ऊँचे हैं और आसपास के क्षेत्र ठंडे हैं।
बृहस्पति के हैं सबसे ज़्यादा उपग्रह
बृहस्पति पर तेज हवाएँ चलना आम है, जिससे ग्रह पर मौसम तूफ़ान जैसा रहता है। इसके कई क्षेत्रों में 350 किमी/घंटा की रफ़्तार से हवाएँ चलती हैं। 1610 में गैलीलियो ने सबसे पहले बृहस्पति को दूरबीन से देखा था। उन्होंने बृहस्पति के बड़े उपग्रहों: आयो, युरोपा, गैनिमीड और कैलिस्टो की खोज की थी। बता दें कि बृहस्पति के कुल 79 उपग्रह हैं, जो सौरमंडल के किसी ग्रह से सबसे ज़्यादा हैं। इसके बाद शनि के सबसे ज़्यादा 62 उपग्रह हैं।
अब तक बृहस्पति पर भेजे जा चुके हैं कुल आठ मिशन
अब तक बृहस्पति पर कुल आठ मिशन भेजे गए हैं। पायोनियर-10, 1973 में सबसे पहले भेजा गया था। इसके बाद पायोनियर-11, वायेजर-1 और 2, गैलीलियो, कासीनी, युलिसिस और न्यू होराइजन बृहस्पति पर भेजे जा चुके हैं। इनमें से 10 अक्टूबर, 1989 को भेजा गया गैलीलियो आठ सालों तक बृहस्पति की कक्षा में रहा। गैलीलियो 08 दिसंबर, 1995 को बृहस्पति की कक्षा में दाख़िल हुआ और 21 सितंबर, 2003 तक काम करता रहा।