#SportsHeroesOfIndia: ओलंपिक में पदक जीतने वाले भारतीय पहलवान योगेश्वर दत्त के जीवन की महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
भारत में खेल जगत में बहुत सितारे हुए हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा से भारत का झंडा दुनिया भर में बुलंद किया है।
कुश्ती एक ऐसा खेल है जो होता तो छोटा है लेकिन इसके लिए मेहनत काफी ज़्यादा करनी पड़ती है। शारीरिक और मानसिक तौर पर पहलवान को काफी फिट होना पड़ता है।
ओलंपिक में कांस्य, एशियन गेम्स में गोल्ड और दो बार के कॉमनवेल्थ गोल्ड मेडलिस्ट योगेश्वर दत्त के जिंदगी से जुड़ी कुछ बातें जो आप जरूर जानना चाहेंगे।
बचपन
बचपन में ही लगा कुश्ती का जुनून
योेगेश्वर का जन्म 2 नवंबर, 1982 में हरियाणा के सोनीपत जिले में हुआ था। उनके माता-पिता टीचर थे।
नौ साल की उम्र में ही योगेश्वर खेलने के लिए अखाड़े में जाने लगे, जहां उनके चाचा ने उन्हें देखा। उनके चाचा ने उन्हें रोज अखाड़े में आने को कहा।
फिर क्या था, योगेश्वर रोज जाने लगे। उनके घर में इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं थी। जब तक लोगों को पता चला वह कुश्ती के दीवाने बन चुके थे।
जानकारी
नहीं पता था ओलंपिक क्या होता है
योगेश्वर कुश्ती लड़ते थे लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि ओलंपिक भी कुछ होता है। 1996 में लिएंडर पेस ने जब भारत को ओलंपिक मेडल दिलाया, तब योगेश्वर को पता चला कि ओलंपिक पदक का महत्व बहुत ज़्यादा होता है।
एशियन गेम
पिता की मौत के नौ दिन बाद जीता एशियन गेम्स मेडल
3 अगस्त, 2006 को योगेश्वर के पिता की मौत हो गई और इसके ठीक नौ दिन बाद उन्हें एशियन गेम्स के लिए दोहा जाना था।
पिता की मौत के दुख के अलावा योगेश्वर को घुटने में चोट भी लगी थी। इतना सारा कष्ट लेकर दोहा पहुंचे योगेश्वर से शायद ही किसी ने मेडल की उम्मीद की होगी।
लेकिन शारीरिक और मानसिक पीड़ा से उबरते हुए योगेश्वर ने 15वें एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम ऊंचा किया।
निजी जिंदगी
कार्यक्रमों में जाना पसंद नहीं करते योगेश्वर
खेल हो या फिर कोई भी क्षेत्र, एक बार आप मशहूर हो जाते हैं तो आपको तमाम तरह के कार्यक्रमों से बुलावा आने लगता है।
2012 ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद योगेश्वर की जिंदगी भी कुछ इसी तरह बदली। उन्हें तमाम जगहों से बुलावा आने लगा।
लेकिन योगेश्वर के मुताबिक वह कार्यक्रमों में जाना पसंद नहीं करते। उनका कहना है कि कुश्ती ने ही उन्हें इतना बड़ा नाम दिया है तो उनके लिए प्रैक्टिस करना ज़्यादा महत्वपूर्ण है।
जानकारी
पद्मश्री से नवाजित हो चुके हैं योगेश्वर
2012 में ओलंपिक कांस्य पदक जीतने वाले योगेश्वर को 'राजीव गांधी खेल रत्न' अवार्ड दिया गया था। इसके बाद 2013 में उन्हें देश चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्मश्री' से नवाजित किया गया। योगेश्वर, एशियन गेम्स में एक और कॉमनवेल्थ में दो गोल्ड जीत चुके हैं।
फिल्में
योगेश्वर को फिल्म देखना नहीं है पसंद
आम तौर पर लोग खाली समय में फिल्में देखना या गाने सुनना पसंद करते हैं लेकिन योगेश्वर को फिल्म देखना पसंद नहीं है।
उनके मुताबिक कुश्ती में वह इतने ज़्यादा लीन हो गए कि उन्हें फिल्में देखने का टाइम नहीं मिला और अब फिल्म देखने का उनका मन भी नहीं होता है।
मुंबई में जब उनके पैर का ऑपरेशन हुआ था तब उन्होंने बाहुबली देखी थी और उन्हें यह फिल्म काफी ज़्यादा पसंद भी आई थी।
जानकारी
शुद्ध शाकाहारी योगेश्वर 6 घंटे की ट्रेनिंग करते थे
योगेश्वर शुद्ध शाकाहारी हैं और वह रोटी, सब्जी के अलावा फल खाना पसंद करते हैं। एक दिन में वह कम से कम दो लीटर दूध भी पीते हैं। सुबह और शाम में मिलाकर वह दिन में 5-6 घंटे की ट्रेनिंग भी करते हैं।