पहली बार थॉमस कप के फाइनल में पहुंचा भारत, बैडमिंटन टीम ने रचा नया इतिहास
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने बीती रात बैंकॉक में इतिहास बना दिया। भारतीय टीम पहली बार थॉमस कप के फाइनल में पहुंची है। 73 साल से चल रहे इस टूर्नामेंट के फाइनल में अब तक भारत को जगह नहीं मिल पाई थी। एशियन साइड ने 2016 में चैंपियन रहने वाली डेनमार्क को रोमांचक मुकाबले में 3-2 से हराते हुए फाइनल में जगह बनाई है। आइए जानते हैं पूरी खबर।
जीत के बाद खुशी मनाते भारतीय खिलाड़ी
भारत ने गंवा दिया था पहला गेम
बीते गुरुवार को ही टीम ने 43 साल बाद इस प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। क्वार्टर-फाइनल मैच जिताने वाले खिलाड़ियों को ही सेमीफाइनल की टीम में भी जगह दी गई थी। भारत के लिए शुरुआत अच्छी नहीं रही थी और लक्ष्य सेन को सीधे सेटों में हार मिली थी। इसके बाद पहले डबल्स मुकाबले में सात्विकसाइराज रैंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी ने भारत को जीत दिलाते हुए स्कोर 1-1 से बराबर किया था।
चौथे गेम तक 2-2 से बराबर था स्कोर
इसके बाद किदांबी श्रीकांत ने विश्व के चौथी वरीयता प्राप्त एंडर्स एंटोसेन का सामना किया था। वर्ल्ड चैंपियनशिप के सिल्वर मेडल विजेता ने शानदार प्रदर्शन किया और तीन सेट तक चले मुकाबले में जीत हासिल की। श्रीकांत का मुकाबला लगभग डेढ़ घंटे तक चला था और उन्होंने जीत हासिल करके भारत को 2-1 से आगे कर दिया था। चौथा गेम भारत हारा था और स्कोर 2-2 से बराबर हो गया था।
प्रणोय ने दिलाई भारत को जीत
क्वार्टर-फाइनल की तरह इस बार भी एसएस प्रणोय को डू आर डाई मैच में उतारा गया था। मैच के आखिरी सिंगल्स मुकाबले में प्रणोय पहला सेट हार गए थे। हालांकि, इसके बाद उन्होंने शानदार वापसी करते हुए अगले दो सेच लगातार जीतकर मैच अपने नाम किया। प्रणोय के जीत का मतलब था कि भारत ने 3-2 से मैच अपने नाम किया और टूर्नामेंट के फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली।
थॉमस कप से जुड़ी अहम बातें
थॉमस कप 1948 में पहली बार खेला गया था और इसे हर तीन साल पर आयोजित किया जाता था। हालांकि, 1982 से हर दो साल पर इसका आयोजन हो रहा है। एक राउंड में कुल पांच मैच खेले जाते हैं जिसमें दो डबल्स और तीन सिंगल्स मुकाबले होते हैं। इंडोनेशिया ने अब तक सबसे अधिक 14 बार यह टूर्नामेंट जीता है। चीन ने इसे 10 और मलेशिया ने पांच बार अपने नाम किया है।