'द गॉड पार्टिकल' की खोज करने वाले वैज्ञानिक की मौत, क्या है यह सिद्धांत?
'द गॉड पार्टिकल' या 'हिग्स बोसोन' पिछली सदी में सबसे बड़ी वैज्ञानिक खोजों में से एक है। हिग्स बोसोन के अस्तित्व का सिद्धांत देने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी पीटर हिग्स का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उन्होंने 1964 में हिग्स बोसोन का सिद्धांत दिया, जो एक मौलिक बल-वाहक कण है, जो अन्य कणों को उनका द्रव्यमान देता है। इसने यह समझाने में मदद की कि ब्रह्मांड में हर चीज का द्रव्यमान कैसे होता है।
क्या होता है हिग्स बोसोन?
ब्रह्मांड में सभी कण मौजूद हैं, लेकिन जब ब्रह्मांड की शुरुआत हुई थी, तब उनका द्रव्यमान नहीं था। यूरोपियन काउंसिल फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) के अनुसार, वे सभी प्रकाश की गति से घूमते थे। हम जो कुछ भी देखते हैं, ग्रह, तारे और जीवन कणों द्वारा हिग्स बोसोन नामक कण से जुड़े क्षेत्र से अपना द्रव्यमान प्राप्त करने के बाद उत्पन्न हुए। इस कण का द्रव्यमान 125 अरब इलेक्ट्रॉन वोल्ट है, जो इसे प्रोटॉन से 130 गुना बड़ा बनाता है।
इसे 'द गॉड पार्टिकल' क्यों कहा जाता है?
हिग्स बोसोन को 'द गॉड पार्टिकल' के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी लियोन लेडरमैन की कण पर लिखी पुस्तक से लिया गया है, जिसका शीर्षक उन्होंने 'गॉडडैम पार्टिकल' रखा था। हालांकि, उनके प्रकाशकों ने बाद में इसका नाम बदलकर 'गॉड पार्टिकल' कर दिया। यह नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि इसके बिना किसी भी कण का द्रव्यमान नहीं होता और जिस दुनिया को हम जानते हैं उसका अस्तित्व नहीं होता।