स्मार्टवॉच के जरिए बहुत पहले पता चल जाएगी पार्किंसन बीमारी, समय पर होगा इलाज- अध्ययन
स्मार्टवॉच को पहले से ही स्वास्थ्य से जुड़ी कई जानकारियों को ट्रैक करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके जरिए हृदय गति से लेकर, ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा, ब्लड प्रेशर आदि की काफी सटीक जानकारी पता लगाई जाती है। अब शोधकर्ताओं ने पाया है कि स्मार्टवॉच के जरिए पार्किंसंन रोग का पता लगने से बहुत पहले ही इसकी जानकारी पाई जा सकती है। शोधकर्ताओं की टीम कई लोगों का विश्लेषण करके इस नतीजे पर पहुंची है।
पार्किंसन की पहचान के लिए स्मार्टवॉच है उपयोगी
नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि एक्सेलेरोमीटर से लैस स्मार्टवॉच जैसे मूवमेंट ट्रैकिंग डिवाइस डॉक्टरी परीक्षण तक पहुंचने की स्थिति से पहले ही पार्किंसंन रोग की पहचान कर सकते हैं। स्काई न्यूज के अनुसार, शोधकर्ताओं की एक टीम ने 1,03,000 से अधिक लोगों को 7 दिनों तक मेडिकल-ग्रेड की पहनी जाने वाली डिवाइस पहनाकर उनके मूवमेंट की स्पीड को मापा था। परीक्षण और विश्लेषण के बाद शोधकर्ताओं में इस बारे में जानकारी दी है।
क्या है पार्किंसन?
पार्किंसंन बीमारी एक तरह का मूवमेंट डिसऑर्डर (विकार) है, जिसमें हाथ या पैर से दिमाग तक पहुंचाने वाली नसें काम करना बंद कर देती हैं। इससे पीड़ित का हाथ-पैर पर नियंत्रण बहुत कम हो जाता है। डॉक्टरों को इस बीमारी के कारण की अभी तक सटीक जानकारी नहीं मिल सकी है, लेकिन विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि पार्किंसन के लिए आनुवांशिक कारण के अलावा प्रदूषित पर्यावरण, कीटनाशक दवाओं से तैयार फल, सब्जी, अनाज आदि भी वजह हैं।
इस काम के लिए उपयोगी होगी स्मार्टवॉच
चिकित्सकों के अनुसार लक्षण दिखने पर मरीज समय से इलाज के लिए डॉक्टर के पास पहुंच जाएं तो पार्किंसन की बीमारी ठीक भी हो जाती है। हालांकि, आमतौर पर शुरुआत में लोगों को बीमारी के बारे में पता नहीं चल पाता है या लोग कुछ सामान्य समझकर टालते रहते हैं। बीमारी जब बड़ी हो जाती है तब लोग डॉक्टर के पास पहुंचते हैं और कई मामलों में तब तक देरी हो जाती है। ऐसे में यह स्मार्टवॉच काफी काम आएगी।
बीमारी के गंभीर होने से पहले ही स्मार्टवॉच से पता चलेंगे लक्षण
शोधकर्ताओं का कहना है कि बीमारी के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए स्मार्टवॉच का इस्तेमाल किया जा सकता है। जर्नल लिखने वाली टीम की लेखिका सिंथिया सैंडोर ने BBC से कहा, "हमने एक हफ्ते का डाटा कैप्चर करके दिखाया है कि इससे भविष्य में 7 साल तक की बीमारी का अनुमान लगाया जा सकता है।" उन्होंने बताया, "इन नतीजों के साथ हम पार्किंसंस का शीघ्र पता लगाने वाला एक स्क्रीनिंग टूल भी विकसित कर रहे हैं।"
AI मॉडल ने की डाटा की तुलना
द इंडिपेंडेंट के अनुसार, स्मार्टवॉच ने परीक्षण में शामिल होने वालों के मूवमेंट सिग्नल्स की गणना की और एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल ने इस डाटा की तुलना उन लोगों के समूह से की, जिन्हें पहले ही पार्किंसंस का इलाज मिल चुका था। यह मॉडल इस बात की भी जानकारी देने में सक्षम था कि बीमारी किस तरह से बढ़ेगी। कहा गया कि है भविष्य में यह उपचार उपलब्ध होने मरीज और मेडिकल परीक्षण दोनों के लिए प्रभावी होगा।