क्या आप जानते हैं कि आखिर तारे कैसे बनते हैं?
तारे अंतरिक्ष में सबसे अधिक संख्या में पाए जाने वाले खगोलीय पिंड हैं, जिन्हें हम पृथ्वी से नग्न आंखों से आसानी से देख सकते हैं। तारों की संख्या को लेकर सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन अनुमान है कि यह करोड़ों में हैं। उनका निर्माण एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है, जो लाखों वर्षों तक चलती है। यह प्रक्रिया तारे की भौतिक संरचना को निर्धारित करती है और ब्रह्मांड में विभिन्न प्रकार के तत्वों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कैसे बनता है तारा?
तारे बनने की प्रक्रिया एक विशाल गैस और धूल के बादल से शुरू होती है, जिसे 'नेबुला' कहते हैं। इस बादल में मुख्यतः हाइड्रोजन और हीलियम होते हैं, जब बाहरी प्रभाव, जैसे सुपरनोवा, के कारण नेबुला का कुछ हिस्सा सिकुड़ने लगता है, तो तापमान और दबाव बढ़ जाते हैं। इस सिकुड़न से गैस और धूल एक-दूसरे के करीब आने लगती हैं, जिससे ग्रैविटेशनल आकर्षण बढ़ता है। अंत में एक प्रारंभिक तारा बनता है, जिसे 'प्रोटोस्टार' कहते हैं।
आगे की क्या होती है प्रक्रिया?
प्रोटोस्टार का तापमान जब लगभग 1 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है, तो न्यूक्लियर संलयन शुरू होता है, जिसमें हाइड्रोजन परमाणु मिलकर हीलियम बनाते हैं। इससे तारे की चमक और ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह प्रक्रिया स्थिर होने पर तारा मुख्य अनुक्रम चरण में प्रवेश करता है, जहां वह लंबे समय तक हाइड्रोजन को हीलियम में बदलता है। हाइड्रोजन खत्म होने पर तारा रेड जायंट या सुपरजायंट बनता और अंत में वह व्हाइट ड्वार्फ या सुपरनोवा में बदल सकता है।