
भारतीय और अफ्रीकी महाद्वीप पर टूटने का खतरा, क्या होंगे इसके परिणाम?
क्या है खबर?
भारतीय और अफ्रीकी महाद्वीप पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
भू-वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक शोध में पता लगाया है कि ये दोनों महाद्वीप भविष्य में टूट कर अलग हो सकते हैं। ये कोई अचानक होने वाली घटना नहीं है, लेकिन इस दिशा में बदलाव शुरू हो चुका है।
यह प्रक्रिया बहुत धीमी है, लेकिन अगर यही स्थिति बनी रही तो करोड़ों साल बाद धरती का नक्शा पूरी तरह बदल सकता है।
वजह
क्यों और कैसे टूट सकते हैं ये महाद्वीप?
वैज्ञानिकों के अनुसार, धरती की सतह टेक्टोनिक प्लेट्स पर बनी है, जो लगातार हलचल में रहती हैं। अफ्रीका के पूर्वी हिस्से में 'ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट' नाम की दरार बन रही है, जो उसे 2 हिस्सों में बांट सकती है।
इसी तरह, भारतीय प्लेट उत्तर की ओर हर साल 5 सेंटीमीटर खिसक रही है। ये दोनों महाद्वीप अपनी-अपनी दिशाओं में धीरे-धीरे खिसक रहे हैं, जिससे भविष्य में इनके अलग होने की संभावना जताई जा रही है।
खतरा
अगर ऐसा होता है तो क्या होंगे इसके परिणाम?
अगर भविष्य में ये महाद्वीप सचमुच टूटते हैं, तो इससे धरती का भूगोल बदल सकता है।
अफ्रीका में एक नया महासागर बन सकता है और वहां का मौसम, वन्यजीवन और जनजीवन पूरी तरह बदल सकता है। भारत में भी कुछ क्षेत्रों में भूकंप और भू-स्खलन की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
इसके साथ ही समुद्री रास्तों, व्यापार और जीवनशैली पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि, यह सब लाखों सालों बाद संभव है।
आशंका
क्या अभी घबराने की जरूरत है?
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रक्रिया बहुत धीमी है और इसमें करोड़ों साल लग सकते हैं, इसलिए अभी घबराने की जरूरत नहीं है।
यह धरती के प्राकृतिक बदलावों का हिस्सा है, जैसे पहले भी महाद्वीप जुड़े और टूटे हैं।
हालांकि, इस जानकारी से यह जरूर समझ आता है कि हमें धरती के बदलावों को समझना और उसके अनुसार भविष्य की तैयारी करना जरूरी है। यह विज्ञान की दृष्टि से एक अहम खोज मानी जा रही है।