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    14 साल के लड़के ने बनाया AI ऐप, 7 सेकेंड में पकड़ती है दिल की बीमारी
    14 साल के लड़के ने बनाया खास AI ऐप (तस्वीर: पिक्साबे)

    14 साल के लड़के ने बनाया AI ऐप, 7 सेकेंड में पकड़ती है दिल की बीमारी

    लेखन बिश्वजीत कुमार
    Jun 06, 2025
    05:31 pm

    क्या है खबर?

    अमेरिका के टेक्सास में रहने वाले 14 वर्षीय सिद्धार्थ नंदयाला ने एक अनोखा स्मार्टफोन ऐप बनाया है, जो सिर्फ 7 सेकंड में दिल की बीमारियों के शुरुआती लक्षणों का पता लगा सकता है।

    इस ऐप का नाम है 'सर्कैडियन AI' और इसकी खासियत यह है कि यह डॉक्टरों और अस्पतालों तक सीमित नहीं है।

    यह ऐप हृदय की आवाज सुनकर बीमारी की पहचान करता है और भविष्य में लोगों की जान बचाने में मदद कर सकता है।

    स्मार्टफोन 

    स्मार्टफोन से दिल की आवाज सुनकर काम करता है ऐप

    यह ऐप स्मार्टफोन को छाती के पास रखकर दिल की धड़कनों को रिकॉर्ड करता है।

    इसके बाद आसपास के शोर को हटाता है और क्लाउड पर मौजूद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिस्टम से डाटा का विश्लेषण करता है।

    इसके जरिए दिल की धड़कन में गड़बड़ी, अतालता, वाल्व की समस्याएं और शुरुआती दिल की विफलता जैसे लक्षण पकड़े जा सकते हैं।

    हालांकि, अभी यह ऐप केवल प्रशिक्षित लोगों द्वारा ही इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि इसमें तकनीकी समझ जरूरी होती है।

    टेस्टिंग

    हजारों मरीजों पर हुई टेस्टिंग

    सिद्धार्थ ने ऐप को बेहतर बनाने के लिए अमेरिका और भारत के कई अस्पतालों से डाटा लिया।

    उन्होंने डॉक्टरों और मरीजों से मिलकर इसके विकास में महीनों काम किया। इस ऐप की टेस्टिंग अमेरिका में 15,000 और भारत में 3,500 से अधिक मरीजों पर की गई, जिसमें 96 प्रतिशत से ज्यादा सटीकता मिली।

    हालांकि, यह एक प्री-स्क्रीनिंग टूल है, यह ECG जैसी पारंपरिक जांच का विकल्प नहीं है, बल्कि शुरुआती पहचान में मदद करता है।

    आविष्कार 

    पहले भी कर चुके हैं कई बड़े आविष्कार 

    सिद्धार्थ ने पहले भी एक सस्ती कृत्रिम भुजा बनाई थी और एक स्टार्टअप 'STEM IT' की शुरुआत की थी, जो छात्रों के लिए विज्ञान किट बनाता है।

    उनके काम को अमेरिकी सरकार और राष्ट्रपति जो बाइडन से सराहना भी मिल चुकी है।

    वह अब टेक्सास यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस पढ़ रहे हैं। भविष्य में वह इस ऐप से फेफड़ों की बीमारी जैसे निमोनिया और अन्य स्थितियों की पहचान भी करना चाहते हैं, ताकि ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके।

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