
उपराष्ट्रपति चुनाव में विशेष पेन से ही क्यों किया जाता है मतदान? जानिए इसकी खासियत
क्या है खबर?
देश के 15वें उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मंगलवार (9 सितंबर) को संसद भवन में मतदान शुरू हो गया है। सुबह 10 शुरू हुई मतदान प्रक्रिया शाम 5 बजे तक चलेगी। उसके बाद शाम 6 बजे मतगणना की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोट डालकर मतदान की शुरुआत की। इस चुनाव में सभी सदस्य विशेष स्याही वाले पेन से ही वोट डाल सकते हैं। ऐसे में आइए इसका कारण और पेन की खासियत के बारे में जान लेते हैं।
मुकाबला
इन उम्मीदवारों के बीच है टक्कर?
उपराष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि INDIA ब्लॉक ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार घोषित किया है। दोनों उम्मीदवारों के तमिलनाडु से होने से कड़ी टक्कर मानी जा रही है। हालांकि, बीजू जनता दल (BJD), भारतीय राष्ट्र समिति (BRS) और शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने मतदान से दूरी बनाने का निर्णय किया है। इसका सीधा फायदा NDA को माना जा रहा है।
कारण
मतदान के लिए क्यों किया जाता है विशेष पेन का इस्तेमाल?
NDTV के अनुसार, लोकसभा की पूर्व महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव ने बताया कि मतदान में वोट की गोपनीयता के लिए विशेष पेन का इस्तेमाल किया जाता है। इस पेन में एक विशेष तरह की स्याही होती है, जिससे उम्मीदवार के नाम पर निशान लगाने के बाद यह किसी को पता नहीं चल पाता कि किसने किसे वोट दिया है। चुनाव आयोग की तरफ से ही इस विशेष पेन से मतदान की व्यवस्था की गई है और इसका इस्तेमान अनिवार्य है।
सख्ती
विशेष पेन से वोट न डालने पर क्या होता है?
श्रीवास्तव ने बताया कि अगर कोई सांसद विशेष स्याही वाले पेन से वोट नहीं डालता है, तो उसके वोट को निरस्त माना जाता है।साल 2017 के उपराष्ट्रपति चुनाव में दूसरे पेन से वोट डालने के चलते 11 वोट और 2022 के चुनाव में 15 वोट अमान्य किए थे। उन्होंने बताया कि उपराष्ट्रपति के साथ राष्ट्रपति चुनाव में भी इसी पेन का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे पहले 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में इस पेन का उपयोग किया गया था।
खासियत
क्या है इस पेन की खासियत?
श्रीवास्तव ने बताया कि इस विशेष पेन में विशेष तरह की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है। इसके कारण इस पेन से एक बार कुछ लिखे जाने के बाद उसे मिटाया नहीं जा सकता है। इस पेन से निशान लगाते वक्त स्याही कागज या बैलट पेपर पर नहीं फैलती है, जिससे दूसरे उम्मीदवार के नाम के आगे स्याही का निशान लगने की संभावना खत्म हो जाती है। मतदान के बाद संसद सदस्यों से यह पेन वापस ले लिया जाता है।
सवाल
कौन करवाता है मतदान?
राष्ट्रपति चुनाव की तरह उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए रिटर्निंग अधिकारी की नियुक्ति होती है। इसके लिए राज्यसभा के महासचिव को चुना जाता है। इस बार पीसी मोदी को रिटर्निंग अधिकारी बनाया गया है, जिनकी देखरेख में पूरी मतदान प्रक्रिया होगी। यह मतदान एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से होता है। इसमें वोट करने वाले सांसद को वरीयता भी बतानी होती है। मतगणना में शीर्ष वरीयता वाले उम्मीदवार के हक में वोट की गणना होती है।
मतगणना
कैसे होती है मतगणना?
मतगणना में बैलेट पेपर को वरीयता के हिसाब से अलग-अलग किया जाता है। किस उम्मीदवार को पहली वरीयता वाले कितने वोट मिले हैं, ये सबसे पहले देखा जाता है। यहां एक फॉर्मूला लागू होता है, जिसमें कुल पहली वीरयता वाले वोटों में 2 का भाग देकर उसमें एक जोड़ा जाता है। इससे आनी वाली संख्या किसी भी उम्मीदवार के दौड़ में बने रहने के लिए जरूरी है। नीचे वाले उम्मीदवारों को मतगणना से बाहर कर दिया जाता है।
सवाल
क्यों नहीं किया जाता है EVM का इस्तेमाल?
अब तक 5 लोकसभा चुनाव और 130 से अधिक विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल की जा चुकीं इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यसभा और राज्य विधान परिषद चुनावों में नहीं किया जाता है। इसकी वजह यह है कि ये मशीन लोकसभा और विधानसभाओं जैसे प्रत्यक्ष चुनावों में मत संग्रहक के तौर पर काम करने के लिए डिजाइन की गई हैं, जिसमें सबसे ज्यादा वोट पाने वाले को निर्वाचित घोषित किया जाता है।