अब क्यों चल रही है मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच तनातनी?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच विवाद चलता ही रहता है। जिस तरह से नासूर थोड़े दिन ठीक होने के बाद दुबारा उभर आता है, ठीक उसी तरह बनर्जी और केंद्र के बीच थोड़े-थोड़े समय में तीखी तकरार होती रहती है। इस समय दोनों के बीच साइक्लोन 'यास' की समीक्षा बैठक को लेकर विवाद चल रहा है जो अब मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की प्रतिनियुक्ति तक पहुंच गया है। आइए जानते हैं पूरा मामला।
साइक्लोन 'यास' की समीक्षा बैठक में 30 मिनट देरी से पहुंची बनर्जी
मुख्यमंत्री बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच ताजा विवाद की शुरुआत गत शुक्रवार को साइक्लोन 'यास' हुए नुकसान का जायजा लेने पश्चिम बंगाल पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ली गई समीक्षा बैठक से हुई थी। इस बैठक में बनर्जी और मुख्य सचिव करीब 30 मिनट की देरी से पहुंचे थे। इतना ही नहीं, बनर्जी और मुख्य सचिव साइक्लोन से हुए नुकसान से संबंधित दस्तावेज सौंपकर महज 15 मिनट बाद ही बैठक छोड़कर वहां से चले गए।
भाजपा नेताओं ने बनर्जी पर लगाए प्रधानमंत्री का अपमान करने के आरोप
इस मामले में भाजपा नेताओं ने बनर्जी पर प्रोटोकॉल तोड़ने और प्रधानमंत्री का अपमान करने के आरोप लगाए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विट किया, 'साइक्लोन यास की समीक्षा बैठक में दीदी ने लोगों की भलाई के ऊपर अपनी ज़िद को रखा है, उनका रवैया यही दिखाता है।' भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लिखा, 'प्रधानमंत्री की बैठक से बनर्जी की अनुपस्थिति संवैधानिक मर्यादा और सहकारी संघवाद की संस्कृति की हत्या है।'
राज्यपाल धनकड़ ने मुख्यमंत्री के व्यवहार पर उठाए थे सवाल
मामले में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा था कि मुख्यमंत्री व अधिकारियों के विरोधात्मक रवैये से राज्य व लोकतंत्र के हितों को नुकसान पहुंचता है। मुख्यमंत्री व उनके अधिकारियों का समय पर बैठक में शामिल नहीं होना संवैधानिक नियमों के मुताबिक नहीं है।
यह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की बैठक ही नहीं थी- बनर्जी
इस मामले में मुख्यमंत्री बनर्जी ने सफाई देते हुए कहा था कि पहले यह समीक्षा बैठक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच होनी थी। इसको देखते हुए उन्होंने अपने कार्यक्रमों को रद्द करते हुए कलाईकुंडा जाने का कार्यक्रम बनाया था। उन्होंने कहा कि बाद में बैठक में आमंत्रित सदस्यों की सूची में राज्यपाल, केंद्रीय मंत्रियों और विपक्ष के नेताओं के नाम देखकर उन्होंने बैठक में हिस्सा नहीं लिया। यह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच बैठक थी ही नहीं।
बनर्जी ने बैठक में सुवेंदु अधिकारी को बुलाए जाने पर उठाए सवाल
बनर्जी ने साइक्लोन से हुए नुकसान की बैठक में भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी को बुलाए जाने पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बैठक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच होनी थी तो उसमें विपक्ष के नेता (शुभेंदु) को क्यों शामिल किया गया। इससे पहले गुजरात और ओडिशा में तूफान को लेकर हुई समीक्षा बैठक में तो विपक्ष के नेता को नहीं बुलाया गया था। ऐसे में इस बैठक में भी विपक्ष के नेता को बुलाना समझ से परे हैं।
केंद्र सरकार ने मुख्य सचिव बंदोपाध्याय को बुलाया दिल्ली
मामले में केंद्र सरकार ने शनिवार को मुख्य सचिव और बनर्जी के करीबी बंदोपाध्याय को वापस दिल्ली बुलाने के आदेश जारी कर दिए। आदेश में उन्हें सोमवार सुबह 10 बजे कार्मिक मंचालय में रिपोर्ट करने कहा था। यह आदेश IAS संवर्ग नियमों के नियम 6(1) के तहत जारी किया है। इसके अनुसार कोई अधिकारी संबंधित राज्य और केंद्र की सहमति से प्रतिनियुक्त किया जा सकता है। किसी पक्ष की असहमति होने पर केंद्र का निर्णय प्रभावी होता है।
आपसी लड़ाई से अधिकारियों को दूर रखें- बनर्जी
सरकार के आदेश पर बनर्जी ने कहा था कि केंद्र की लड़ाई उनसे है, अधिकारियों से नहीं। वह केंद्र से निवेदन करती है कि उनके अधिकारियों के इन सबसे दूर रखा जाए और एक्सटेंशन दिया जाए। उन्होंने तबादला आदेश निरस्त करने की मांग की थी।
बनर्जी ने किया मुख्य सचिव को कार्यमुक्त करने से इनकार
बर्नजी ने सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मुख्य सचिव को कार्यमुक्त करने से इनकार कर दिया। उन्होंने लिखा, 'पश्चिम बंगाल सरकार ऐसी मुश्किल घड़ी में मुख्य सचिव को कार्यमुक्त नहीं कर सकती और न ही कर रही है। केंद्र सरकार को अपने फैलसे पर पुनर्विचार कर आदेश रद्द करना चाहिए।' बता दें कि मुख्य सचिव 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन गत 24 मई को उनका कार्यकाल तीन महीने बढ़ा दिया गया था।
बनर्जी ने आदेश को बताया पूरी तरह से असंवैधानिक
बनर्जी ने अपने पत्र में केंद्र सरकार के आदेश को पूरी तरह से असंवैधानिक और कानूनी रुप से अस्थिर करार दिया है। उन्होंने कलाईकुंडा का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या इस आदेश के पीछे कलाईकुंडा मीटिंग का कुछ लेना-देना है? उन्होंने कहा, "मैं पूरी ईमानदारी से उम्मीद करती हूं ऐसा कोई कारण नहीं रहा होगा लेकिन यदि ऐसा है, तो यह बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योंकि जनता के हित के अनुसार ही हम अपनी प्राथमिकताएं तय करते हैं।"
तकरार के बीच मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए बंदोपाध्याय
केंद्र और बनर्जी की तकरार के बीच मुख्य सचिव ने बड़ कदम उठाते हुए पद से सेवानिवृत्ति ले ली है। उन्होंने सरकार की ओर से दिए गए तीन महीने के सेवा विस्तार को छोड़ दिया है। इसमें खास बात यह रही कि उनके सेवानिवृत्त होने के साथ ही बनर्जी ने उन्हें अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर दिया है। ऐसे में अब बंदोपाध्याय पर केंद्र की अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हो सकेगी और वह बनर्जी के साथ आगे भी काम करते रहेंगे।
पहले भी मुख्य सचिव और DGP को दिल्ली भेजने से इनकार कर चुकी है बनर्जी
यह पहला मामला नहीं है जब बनर्जी ने किसी अधिकारी को केंद्र भेजने से इनकार किया है। पिछले साल 10 दिसंबर को डायमंड हार्बर जाते समय भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के काफिले पर हमला हुआ था। इस मामले में गृह मंत्रालय ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) वीरेंद्र सिंह को दिल्ली बुलाया था, लेकिन बनर्जी ने उन्हें भेजने से इनकार कर दिया था। इस मामले को लेकर भी काफी गहमा-गहमी हुई थी।
विवाद के बीच TMC को विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत
केंद्र और बनर्जी के बीच तकरार लगभग सभी मुद्दों पर होती आई है। इनमें कोरोना महामारी के दौरान प्रवासी एक्सप्रेस ट्रेनों चलाने का मामला हो या फिर कोरोना संक्रमण के आंकड़ों की सत्यता का। सभी में दोनों की जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई है। इस साल पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों में दोनों के बीच तकरार काफी बढ़ गई थी। हालांकि, भाजपा के तमाम प्रयासों के बाद भी TMC ने 213 सीटें जीतकर फिर से सत्ता पर कब्जा जमा लिया।