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#NewsBytesExplainer: उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों से NDA को कितना फायदा और INDIA को क्या नुकसान?
उपराष्ट्रपति चुनावों में राधाकृष्णन की जीत से NDA ने कई समीकरण साधे हैं

#NewsBytesExplainer: उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों से NDA को कितना फायदा और INDIA को क्या नुकसान?

लेखन आबिद खान
Sep 10, 2025
02:02 pm

क्या है खबर?

उपराष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने जीत दर्ज की है। उन्होंने विपक्षी गठबंधन INDIA के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से हराया है। इन चुनावों के जरिए NDA ने एक साथ कई लक्ष्यों को साधने की कोशिश की है तो INDIA गठबंधन में दरार भी सामने आ गई है, क्योंकि इसके कुछ सांसदों के क्रॉस वोटिंग करने की खबर है। आइए राधाकृष्णन की जीत के सियासी मायने समझते हैं।

दक्षिण

भाजपा ने चुनावों के जरिए दक्षिण को साधा

कुछ ही महीनों में तमिलनाडु और केरल में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर दक्षिण से आने वाले नेता को जीताकर NDA ने बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। चुनावों में भाजपा ने तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के साथ YSR कांग्रेस और पवन कल्याण की जनसेना पार्टी का समर्थन जुटाया, जो दक्षिण में उसके सहयोगियों के साथ बेहतर तालमेल का भी संकेत है।

जातिगत

राधाकृष्णन उच्च पद पर पहुंचने वाले दूसरे OBC नेता

राधाकृष्णन तमिलनाडु के अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय से आते हैं। उनके जरिए भाजपा ने एक राजनीतिक संदेश दिया है कि वह सोशल इंजीनियरिंग पर काम कर रही है। जातिगत जनगणना की घोषणा के बीच राधाकृष्ण का OBC समुदाय से आना अहम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद वे ऊंचे संवैधानिक पद पर आसीन होने वाले दूसरे OBC नेता बन गए हैं। अगर भाजपा का अगला अध्यक्ष भी OBC समुदाय से हुआ, तो जातिगत समीकरण और उसके पक्ष में होंगे।

क्रॉस वोटिंग

क्रॉस वोटिंग से विपक्षी एकता को झटका

चुनावों में राधाकृष्णन को 452, जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले। INDIA गठबंधन के पास 315 सांसद हैं। ऐसे में तय है कि उसके कुछ सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है। ये विपक्ष के लिए झटके की तरह है, जो चुनाव से पहले एकता की बात कर रहा था। भाजपा सांसद और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, "कई विपक्षी सांसदों ने भी राधाकृष्णन के पक्ष में मतदान किया है, जिससे पता चलता है कि उन्होंने अंतरात्मा की आवाज सुनी।"

सहयोगी

सहयोगी पार्टियों पर भाजपा की मजबूत पकड़

इन चुनावों ने जहां विपक्ष की कमजोरी सामने ला दी है, वहीं, ये भी संदेश दिया है कि भाजपा की सहयोगी पार्टियों पर मजबूत पकड़ है। भाजपा ने न सिर्फ सहयोगियों को एकजुट रखा, बल्कि विपक्ष में भी सेंध लगाई। भारत राष्ट्र समिति (BRS), अकाली दल और बीजू जनता दल (BJD) ने मतदान से दूरी बनाई, जो भाजपा के प्रति नरमी का संकेत था। BJD और अकाली दल की भाजपा से तनातनी के बावजूद कांग्रेस उन्हें साथ नहीं ला सकी।

भाजपा

राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाना भाजपा में आंतरिक सुधार का संकेत है?

भाजपा ने पहले दूसरी पार्टी से आए जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाया था। उनसे तीखे मतभेद और अचानक इस्तीफे के बाद पार्टी ने राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया। इसके जरिए पार्टी ने संदेश दिया कि वो पार्टी के वरिष्ठ और समान वैचारिक आधार वाले नेताओं को इनाम भी देती है। वहीं, राधाकृष्णन का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ाव भी संगठन और सरकार पर असर डाल सकता है। हाल ही में RSS और भाजपा में मतभेद की कई खबरें आई थीं।

पिछले चुनाव

जगदीप धनखड़ से कितनी अलग है राधाकृष्णन की जीत?

राधाकृष्णन को कुल वैध मतों के 60 प्रतिशत वोट मिले। वहीं, 2022 में धनखड़ को कुल वैध मतों के 74.36 प्रतिशत वोट मिले थे। इस तरह राधाकृष्णन को धनखड़ से 14 प्रतिशत कम वोट मिले हैं। धनखड़ ने 346 वोटों से जीत दर्ज की थी तो राधाकृष्णन 152 वोटों से जीते हैं। यानी राधाकृष्णन को 76 वोट कम मिले। इसकी वजह है कि लोकसभा चुनावों के बाद NDA की सीटें कम हुई हैं और विपक्ष भी ज्यादा एकजुट रहा।