देश के अगले उपराष्ट्रपति होंगे सीपी राधाकृष्णन, विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को दी मात
क्या है खबर?
देश के 15वें उपराष्ट्रपति के चुनाव लिए मंगलवार को संसद भवन में मतदान हुआ और उसके बाद मतगणना की गई। इसमें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने एकतरफा मुकाबले में INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से हराकर जीत हासिल की। इसके साथ राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनाना तय हो गया है। बता दें कि विभिन्न दलों के समर्थन के आधार पर राधाकृष्णन की जीत पहले ही सुनिश्चित मानी जा रही थी।
मतदान
सुबह 10 से शाम 5 बजे तक हुआ मतदान
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए संसद भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान हुआ। इसमें लोकसभा में 542 (एक रिक्ति सहित) और राज्यसभा में 239 (6 रिक्तियों सहित) सांसद सहित कुल 781 सदस्यों को मतदान के लिए अधिकृत किया गया था। मतदान समाप्त होने तक कुल 98.20 प्रतिशत यानी 767 सदस्यों ने मतदान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मतदान की शुरुआत की। उसके बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत अन्य सदस्यों ने वोट डाले।
वोट
राधाकृष्णन को मिले 552 वोट
चुनाव आयोग के अनुसार, राधाकृष्णन को चुनाव में कुल 452 (58.77 प्रतिशत) वोट मिले। इसी तरह 15 वोट 15 अमान्य घोषित किए गए। हालांकि, उन्हें जीत के लिए मात्र 391 वोटों की आवश्यकता थी। पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में विजेता उम्मीदवार को 68 प्रतिशत वोट मिले थे। राधाकृष्णन के समर्थन में NDA के 427 सांसद और मनोनीत सांसदों ने मतदान किया। इसके अलावा उन्हें YSR कांग्रेस का भी समर्थन मिला और 14 वोट क्रॉस वोटिंग के जरिए भी मिले।
संतोष
रेड्डी को मिले केवल 300 वोट
विपक्षी उम्मीदवार रेड्डी को 300 वोटों से ही संतोष करना पड़ा। INDIA गठबंधन की प्रमुख पार्टी कांग्रेस के लोकसभा में 99 और राज्यसभा में 27 सांसदों के साथ कुल 126 सांसद थे। इसके बाद उनकी सहयोगी पार्टी और कुछ निर्दलीय सांसद मिलाकर यह आंकड़ा 324 तक पहुंच रहा था। मतदान के बाद विपक्ष ने दावा किया था कि उनके उम्मीदवार को 315 वोट मिलेंगे, लेकिन मिले 300 ही। ऐसे में 15 सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग कर उन्हें झटका दिया है।
दूरी
इन दलों ने बनाई मतदान से दूरी
ओडिशा की बीजू जनता दल (BJD), तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने पूरी तरह चुनाव से अलग रहने का फैसला किया है। BJD के कुल 8 और BRS के कुल 4 सांसदों ने वोट नहीं डाला। इसी तरह शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने भी पंजाब में आई बाढ़ के कारण मतदान से दूरी बनाने का ऐलान किया था। आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी की YSR कांग्रेस ने सीपी राधाकृष्णन और असदुद्दीन ओवैसी के 2 सांसद INDIA के साथ रहे।
मतदान
निर्वाचक मंडल के सदस्यों ने कैसे किया मतदान?
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान खास तरीके से किया गया। इसे एकल संक्रमणीय मत प्रणाली कहते हैं। मतदाताओं ने अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करते हुए मतदान किया। उन्होंने बैलट पेपर पर मौजूद उम्मीदवारों में अपनी पहली पसंद को 1, दूसरी पसंद को 2 के रूप में प्राथमिकता दी। निर्वाचक मंडल के सदस्यों ने मतदान की गोपनीयता बनाए रखने के लिए विशेष स्याही वाले पेन से अपना वोट डाला। इस पेन की स्याही कागज पर फैली नहीं है।
जानकारी
प्रधानमंत्री मोदी से मिलेंगे राधाकृष्णन
भाजपा के सभी सांसद रात करीब साढ़े 9 बजे केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी के आवास पर पहुंचेंगे और नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन का स्वागत की जीत की बधाई देंगे। प्रधानमंत्री मोदी भी राधाकृष्णन को बधाई देने वहां पहुंचेंगे।
बयान
विपक्ष की हार नहीं, नैतिक जीत हुई है- जयराम रमेश
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, 'उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष पूरी तरह से एकजुट रहा और उसका प्रदर्शन सम्मानजनक रहा। चुनाव में विपक्ष के साझा उम्मीदवार जस्टिस (सेवानिवृत्त) बी सुदर्शन रेड्डी को करीब 40 प्रतिशत वोट मिले, जबकि 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष को महज 26 प्रतिशत ही वोट ही मिले थे। विपक्ष का यह प्रदर्शन दिखाता है कि विपक्ष का आधार मजबूत हो रहा है। उसकी हार नहीं नैतिक जीत हुई है।'
परिचय
कौन है सीपी राधाकृष्णन?
तमिलनाडु के तिरुप्पुर में 20 अक्टूबर, 1957 को जन्मे चन्द्रपुरम पोनुस्वामी राधाकृष्णन भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे हैं। वह 31 जुलाई, 2024 से में महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में सेवाएं दे रहे थे। इससे पहली वह फरवरी 2023 से जुलाई 2024 तक झारखंड के राज्यपाल रहे और मार्च से जुलाई 2024 तक तेलंगाना का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला है। इसी तरह उन्होंने मार्च से अगस्त 2024 तक पुडुचेरी के उपराज्यपाल का भी अतिरिक्त प्रभार संभाला था।
सफर
कैसा रहा है राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर?
राधाकृष्णन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनसंघ से की थी। वह साल 1974 में महज 16 साल की उम्र में ही RSS और जनसंघ से सदस्य के रूप में जुड़ गए थे। वह साल 1996 में तमिलनाडु भाजपा में सचिव बने और 1998-99 में कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। उन्होंने 2004 से 2007 तक तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी संभाली थी। इसी तरह 2020-2022 तक केरल भाजपा के प्रभारी रहे थे।