पित्त दोष को संतुलन में कर सकते हैं ये प्राणायाम, ऐसे करें अभ्यास
क्या है खबर?
आयुर्वेद मुख्य रूप से तीन (वात दोष, पित्त दोष और कफ दोष) जीवन शक्तियों पर आधारित होता है।
हालांकि, अगर इनमें से किसी दोष में असंतुलन हो तो शरीर में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। खासकर, जब बात पित्त दोष की हो तो इसका असंतुलन कई गंभीर शारीरिक और त्वचा संबंधित समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है।
आइए आज हम आपको कुछ ऐसे प्राणायामों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जो पित्त दोष को संतुलित करने में सहायक हैं।
#1
नाड़ी शोधन प्राणायाम
नाड़ी शोधन प्राणायाम के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठें, फिर दाएं हाथ की पहली दो उंगलियों को माथे के बीचों-बीच रखें।
अब अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अनामिका उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस छोड़ें।
इस दौरान अपनी दोनों आंखें बंद करके अपनी सांस पर ध्यान दें। कुछ देर बाद प्राणायाम छोड़ दें।
#2
शीतली प्राणायाम
सबसे पहले पद्मासन या किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें।
अब अपने हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों पर रखकर अपनी जीभ से नली का आकार बना लें। दोनों किनारों से जिह्वा को मोड़कर पाइप का आकार बना लें, फिर इसी स्थिति में लंबी और गहरी सांस लेकर जीभ को अन्दर करके मुहं को बंद कर लें।
इसके बाद अपनी नाक के जरिए धीरे-धीरे सांस निकालें। इस प्रक्रिया को कम से कम 20-25 बार दोहराएं।
#3
भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की स्थिति में बैठें।
अब अपने दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर अपने कानों के पास लाएं और अंगूठों से अपने दोनों कानो को बंद करें, फिर हाथों की तर्जनी उंगलियों को माथे पर और मध्यमा, अनामिका और कनिष्का उंगली को बंद आंखों के ऊपर रखें।
इसके बाद मुंह बंद करें और नाक से सांस लेते हुए ओम का उच्चारण करें। कुछ मिनट बाद धीरे-धीरे आंखों को खोलकर प्राणायाम को छोड़े।
#4
शीतकारी प्राणायाम
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन या फिर किसी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं।
अब जीभ को ऊपर की ओर रोल करें और इससे ऊपरी तालु को छुएं।
इसके बाद दांतों को एक साथ मिलाएं और होठों को अलग रखें ताकि दांत दिखें। फिर धीरे से लंबी सांस लें।
इस दौरान मुंह से 'हिस' की आवाज उत्पन्न होगी। इसके बाद अपने होंठों को आपस में मिलाकर नाक से सांस को धीरे से छोड़े। इस प्रक्रिया को लगभग 20-25 बार दोहराएं।