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    इस 81 वर्षीय महिला की फुर्ती कर देगी हैरान, देती हैं स्कूली बच्चों को फिजिकल ट्रेनिंग

    इस 81 वर्षीय महिला की फुर्ती कर देगी हैरान, देती हैं स्कूली बच्चों को फिजिकल ट्रेनिंग

    लेखन प्रदीप मौर्य
    Jan 31, 2019
    05:25 pm

    क्या है खबर?

    सही कहा जाता है कि व्यक्ति के जज़्बे के आगे उम्र कोई मायने नहीं रखती। इस कहावत को 81 वर्षीया ईशा घोष ने सही कर दिखाया है।

    जिस उम्र में ज़्यादातर लोग थक-हारकर बैठ जाते हैं, उस उम्र में ये अपनी ऊर्जा से स्कूलों में बच्चों को फिजिकल ट्रेनिंग देती हैं।

    भारत स्काउट्स एंड गाइड्स (BSG) की राज्य समिति की सदस्या ईशा पिछले कई दशकों से मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने में बच्चों की मदद कर रही हैं।

    दिनचर्या

    हर रोज़ चलती हैं 7 किलोमीटर पैदल

    झारखंड के चाईबासा की रहने वाली ईशा BSG कैम्प के दौरान बच्चों को ट्रेनिंग देती हैं। पूरे दिन में ये आठ घंटे बच्चों को ट्रेनिंग देती हैं।

    ख़ुद को स्वस्थ्य रखने के लिए ये हर रोज़ सात किलोमीटर पैदल चलकर शहर के अलग-अलग स्कूलों में ट्रेनिंग देने के लिए जाती हैं।

    इसके अलावा ईशा बच्चों को बेहतर जीवन के प्रति प्रेरित करने के लिए जापानी संगीत का अभ्यास, क्लाइंबिंग और योग भी कराती हैं।

    जानकारी

    पिछले 56 सालों से जुड़ी हुई हैं BSG से

    ईशा का जन्म कोलकाता में 1938 में हुआ था। इनके पिता स्वर्गीय विभूति भूषण घोष सेना में थे। इन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई लखनऊ से की। ईशा पिछले 56 सालों से BSG से जुड़ी हुई हैं।

    बयान

    'आख़िरी साँस तक करना चाहिए समाज के लिए कुछ बेहतर'

    ईशा 2003 से चाईबासा में BSG के आवासीय परिसर में रह रही हैं। ये BSG द्वारा दिए गए सीमित पारिश्रमिक से अपना दैनिक ख़र्च चलाती हैं। स्थानीय निवासी भी इनकी मदद करते हैं।

    ईशा के अनुसार घर पर आलसियों की तरह बैठना अच्छा नहीं है। लोगों को अपनी आख़िरी साँस तक समाज के लिए कुछ बेहतर करना चाहिए। BSG में शामिल होने के बाद 1963 से वह लोगों की स्वस्थ रहने में मदद कर रही हैं।

    जानकारी

    धर्म की तरह है समाज सेवा

    ईशा ने कहा, "BSG सदस्य के लिए समाज की सेवा धर्म की तरह है। जीवन के आठ दशक बीतने के बाद भी मुझे समाज की सेवा करना बहुत पसंद है। इससे मुझे आंतरिक संतुष्टि मिलती है।"

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