LOADING...
कुपोषित बच्चे जल्दी होते हैं दिमागी बुखार के शिकार, जानें इसके लक्षण, बचाव और उपचार

कुपोषित बच्चे जल्दी होते हैं दिमागी बुखार के शिकार, जानें इसके लक्षण, बचाव और उपचार

Jul 12, 2019
11:38 am

क्या है खबर?

आज के समय में बदलती लाइफ़स्टाइल की वजह से लोग तरह-तरह की बीमारियों के शिकार बहुत जल्दी हो जाते हैं। उन्ही में से एक दिमागी बुखार भी है। दिमागी बुखार की वजह से हाल ही में बिहार में लगभग 200 से ज़्यादा बच्चे गम्भीर रूप से बीमार हुए और कई बच्चों की जान भी चली गई। जब बुखार का असर दिमाग तक पहुँच जाता है, तो उसे दिमागी बुखार कहते हैं। आइए जानें इसके लक्षण, बचाव और उपचार के उपाय।

कारण

किस वजह से होता है दिमागी बुखार?

दिमागी बुखार के कई कारण होते हैं। बिहार के मामले में भी कई वजहें हो सकती हैं, जैसे वायरस से होने वाला इंफ़ेक्शन, ख़ून में ग्लूकोज़ की कमी या बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण। यह बुखार क्यूलिक्स नामक मच्छर के काटने से होता है, जो जापानी इनसेफलाइटिस नामक वायरस से फैलता है। यही वायरस दिमागी बुखार के लिए ज़िम्मेदार होता है। हालाँकि, कुपोषित बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है, इसलिए वो जल्दी इसके शिकार बनते हैं।

अन्य कारण

दिमागी बुखार के अन्य कारण

तेज़ धूप में घूमने की वजह से बच्चों का शुगर लेवल अचानक से बहुत कम हो जाता है। इस अवस्था को हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है, जिसमें बच्चे अचानक बेहोश हो जाते हैं। सफ़ाई की कमी, आस-पास गंदे पानी का जमाव, मच्छर नाशक दवाओं या मच्छरदानी का इस्तेमाल न करना आदि भी इस बुखार के कारण हैं। धान के खेतों में पाले जाने वाले सुअरों को जब मच्छर काटता है, तो यह बीमारी लोगों में भी फैल जाती है।

जानकारी

दिमागी बुखार के लक्षण

जिन बच्चों को दिमागी बुखार होता है, उनमें तेज़ या हल्का बुखार, सिरदर्द, नॉजिया, उल्टी, लूज़ मोशन, माँसपेशियों में दर्द और बेहोशी जैसे कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसा होने पर उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएँ।

बचाव

इस तरह करें बचाव

अगर आप ख़ुद को और अपने बच्चों को दिमागी बुखार से बचाना चाहते हैं, तो अपने घर के आस-पास गंदा पानी इकट्ठा न होने दें। बच्चों को तेज़ धूप में बाहर निकलने से रोकें और उनके खानपान और साफ़-सफ़ाई पर ख़ास ध्यान दें। इसके अलावा मच्छरों से निजात पाने के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें। बच्चों को इस बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है, जिसका टिका उन्हें लगवाएँ।

उपचार

दिमागी बुखार का जाँच और उपचार

दिमाग के अंदर पाया जाने वाला फ़्लूइड रीढ़ की हड्डी में भी होता है, जिसकी जाँच से पता चलता है कि बच्चे के शरीर में वायरस है या नहीं। अगर दिमाग में बीमारी के वायरस पाए जाते हैं, तो लक्षणों के आधार पर इसका उपचार किया जाता है। उपचार के बाद भी यह बीमारी दिमाग पर अपने निशान छोड़ जाती है, जो उम्रभर बने रहते हैं। हाथ-पैरों में कमज़ोरी और आँखों की रोशनी कम होना कुछ ऐसे ही निशान हैं।