मानसून के कारण हो रहा है फंगल संक्रमण? जानिए इस समस्या से निपटने के घरेलू उपाय
क्या है खबर?
मानसून के आगमन से गर्मी से राहत मिलती है। हालांकि, बारिश के मौसम में हवा में उच्च स्तर की नमी होने लगती है।
इस चिपचिपी गर्मी और नमी के कारण त्वचा को नुकसान होने लगता है। मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी जल-जनित बीमारियों के अलावा, मानसून फंगल संक्रमण होने का एक प्रमुख कारक हो सकता है।
ये संक्रमण हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस के कारण होते हैं। आप मानसून में होने वाले फंगल संक्रमण के इलाज के लिए ये टिप्स अपनाएं।
#1
नीम का करें इस्तेमाल
नीम एक औषधीय पौधा है, जो दांतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसमें सूजन-रोधी, एंटीऑक्सीडेंट और प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुण होते हैं।
नीम त्वचा को हानिकारक अल्ट्रा वॉयलेंट (UV) किरणों, प्रदूषक और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में सहायक साबित होती है।
नीम की पत्तियां त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं और फंगल त्वचा संक्रमण का प्रभावी ढंग से इलाज कर सकती हैं। आप अपनी संक्रमित त्वचा पर नीम का पेस्ट बनाकर लगाएं।
#2
नारियल का तेल आएगा काम
नारियल के तेल में पाए जाने वाले एंटीफंगल और माइक्रोबियल गुण दाद संक्रमण के उपचार में सहायता कर सकते हैं। यह दाद और कैंडिडा जैसे अन्य फंगल संक्रमणों के लिए एक बहुत ही शक्तिशाली घरेलू उपचार है।
नारियल के तेल को संक्रमण वाली जगह पर लगाने से उनका उपचार जल्दी हो सकता है। इसे दिन में कम से कम 3 से 4 बार संक्रमित अंगों पर लगाएं।
आप नारियल तेल लगाकर स्ट्रेच मार्क्स से भी छुटकारा पा सकते हैं।
#3
शहद लगाना है कारगर उपाय
फंगल संक्रमण के लिए सबसे सरल घरेलू उपचारों में से एक है शहद का उपयोग।
इसमें हाइड्रोजन पेरोक्साइड होता है, जो संक्रमण पैदा करने वाले कवक और बैक्टीरिया को मारने में अत्यधिक प्रभावी होता है।
शहद मुख्य रूप से चीनी से बना होता है, लेकिन इसमें विटामिन, खनिज, आयरन, जस्ता और एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं।
यह संक्रमण के इलाज, मेटाबोलिक सिंड्रोम से लड़ने और स्वस्थ त्वचा को बनाए रखने के लिए भी फायदेमंद है।
#4
एलोवेरा जेल से मिलेगा आराम
मानसून के दिनों में अपनी त्वचा की देखभाल करने के लिए आप एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसमें मजबूत जीवाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो मुक्त कणों से लड़ने में सहायता करते हैं।
इसके जरिए बारिश के कारण होने वाले फंगल संक्रमण का प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है। एलोवेरा दाद से जुड़ी परेशानी, जलन और खुजली से भी राहत दिला सकता है।
आपको एलोवेरा के इस्तेमाल से ये फायदे और नुकसान हो सकते हैं।
#5
टी-ट्री ऑयल का करें उपयोग
टी-ट्री ऑयल एक तरह का एसेंशियल आयल है, जिसे बनाने के लिए ऑस्ट्रेलियाई टी-ट्री पेड़ की पत्तियों को भांप में पकाया जाता है।
NCBI के अनुसार, अपने एंटीफंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण टी-ट्री ऑयल पारंपरिक एंटीफंगल दवाओं के लिए एक उपयोगी उपाय हो सकता है।
टी-ट्री ऑयल की कुछ बूंदों को संक्रमित जगह पर लगाएं और दिनभर में कम से कम 3 से 4 बार इस तेल का इस्तेमाल करें।