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सर्दियों में इन योगासनों का करें अभ्यास, ठंड से होगा बचाव
सर्दियों में इन योगासनों का करें अभ्यास

सर्दियों में इन योगासनों का करें अभ्यास, ठंड से होगा बचाव

लेखन अंजली
Nov 03, 2021
06:45 am

क्या है खबर?

सर्दियों में बहुत से लोगों में आलस आ जाता है और इस कारण वे कभी-कभी ही एक्सरसाइज करते हैं। हालांकि सर्दी के मौसम में भी फिट रहना जरुरी होता है और इसके लिए रोजाना योगाभ्यास करना एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के अभ्यास का तरीका बताते हैं जो ठंड से बचाए रखने के साथ-साथ आपको स्वस्थ रखने में काफी मदद कर सकते हैं।

#1

पश्चिमोत्तानासन

पश्चिमोत्तानासन के लिए पहले योगा मैट पर अपने दोनों पैरों को आपस में सटाकर और आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं। अब दोनों हाथ ऊपर की ओर उठाएं, फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और माथे को घुटनों से सटाते हुए हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़ने का प्रयास करें। कुछ सेकंड के लिए इसी अवस्था में बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें, फिर गहरी सांस लेते हुए सामान्य हो जाएं।

#2

मंडूकासन

मंडूकासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले योगा मैट पर वज्रासन की अवस्था में बैठ जाएं, फिर अपने दोनों हाथों से मुठ्ठी बनाकर इन्हें अपनी नाभि के पास रख लें। अब सांस छोड़ते हुए आगे की ओर इस तरह से झुकें कि नाभि पर मुठ्ठी का ज्यादा से ज्यादा दबाव पड़े। इस दौरान सिर और गर्दन ऊपर उठाए रखें। धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते हुए यथासंभव इस स्थिति को बनाए रखें। अंत में धीरे-धीरे आसन छोड़ दें और विश्राम करें।

#3

कूर्मासन

कूर्मासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सीधे बैठकर अपने दोनों पैरों को 45 डिग्री तक फैलाने की कोशिश करें। अब अपने दोनों हाथों को घुटनों के नीचे लेकर सीधा फैला दें, फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुककर अपने सिर को जमीन पर लगाएं और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने का प्रयास करें। कुछ सेकेंड इसी मुद्रा में रहते हुए सामान्य गति से सांस लेते रहें, फिर गहरी सांस लेते हुए प्रारंभिक अवस्था में आएं।

#4

अश्व संचालनासन

अश्व संचालनासन के लिए योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दाएं पंजे को जमीन पर रखते हुए दाएं पैर को घुटने से मोड़ें। इसके बाद अपने बाएं पैर को सीधा रखते हुए जितना हो सके, शरीर को पीछे ले जाएं। अब अपने दोनों हाथों को दाएं पैर के बराबर में रखें और सामने की ओर देखें। इसी मुद्रा में सामान्य रूप से सांस लेते रहें। कुछ देर इसी अवस्था में बने रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।