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त्रिपुरा के प्रमुख संगीत वाद्ययंत्र, जो बनाते हैं संगीत को और भी मजेदार
त्रिपुरा के संगीत वाद्ययंत्र

त्रिपुरा के प्रमुख संगीत वाद्ययंत्र, जो बनाते हैं संगीत को और भी मजेदार

लेखन अंजली
Jul 17, 2025
10:16 pm

क्या है खबर?

त्रिपुरा के संगीत वाद्ययंत्र न केवल संगीत की दुनिया में अपनी अनोखी पहचान रखते हैं, बल्कि वे राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शाते हैं। इन संगीत वाद्ययंत्र की धुनें न केवल लोक गीतों में सुनाई देती हैं, बल्कि धार्मिक कार्यक्रमों और त्योहारों में भी इनका अहम स्थान है। आइए आज हम आपको त्रिपुरा के कुछ प्रमुख संगीत वाद्ययंत्र के बारे में बताते हैं, जो संगीत को और भी मजेदार बनाते हैं।

#1

ड्रम रैटल

ड्रम रैटल त्रिपुरा का एक पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र है, जिसे खासतौर पर धार्मिक कार्यक्रमों में उपयोग किया जाता है। यह लकड़ी से बना एक गोलाकार उपकरण है, जिसे हाथों से बजाया जाता है। इसकी धुनें पूजा और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में बहुत अहमियत रखती हैं। ड्रम रैटल की आवाज़ धार्मिक कार्यक्रमों को एक विशेष आध्यात्मिकता प्रदान करती है। इसके अलावा यह स्थानीय त्योहारों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

#2

सुमुई

सुमुई त्रिपुरा का एक पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। यह एक प्रकार की बांसुरी होती है, जिसे हाथों से फूंका जाता है। इसकी धुनें पूजा और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में बहुत अहमियत रखती हैं। सुमुई की आवाज धार्मिक अनुष्ठानों को एक विशेष आध्यात्मिकता प्रदान करती है। इसके अलावा यह स्थानीय त्योहारों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

#3

सारिंदा

सारिंदा त्रिपुरा का एक प्रमुख संगीत वाद्ययंत्र है, जिसका उपयोग लोक गीतों और नृत्य में होता है। इसे लकड़ी से बनाया जाता है और इसे हाथों से पकड़ा जाता है। सारिंदा की धुनें स्थानीय नृत्यों को एक नई ऊर्जा देती हैं। इस संगीत के सामान की आवाज़ इतनी मधुर होती है कि वह सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती है। सारिंदा का उपयोग खासकर शादी-ब्याह जैसे समारोहों में किया जाता है।

#4

चोंगप्रेंग

चोंगप्रेंग त्रिपुरा का एक अनोखा संगीत वाद्ययंत्र है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। यह एक प्रकार की ड्रम होती है, जिसे दोनों हाथों से बजाया जाता है। चोंगप्रेंग की धुनें पूजा और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में बहुत अहमियत रखती हैं। इन सभी संगीत वाद्ययंत्र ने त्रिपुरा की सांस्कृतिक धरोहर में अहम भूमिका निभाई है और इन्हें आज भी बड़े प्यार से संजोया जाता है।