स्लीप पैरालिसिस: जानिए इस बीमारी के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय
स्लीप पैरालिसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति सोते समय सचेत और सक्रिय महसूस करता है और हिलने-डुलने या बोलने में असमर्थ होता है। यह तब होता है जब कोई व्यक्ति जागने और सोने के चरणों के बीच होता है। यह अवस्था आमतौर पर एक या दो मिनट तक रहती है। स्लीप पैरालिसिस के कारण व्यक्ति तनाव से भी घिर सकता है। आइए आज स्लीप पैरालिसिस के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय जानते हैं।
स्लीप पैरालिसिस क्या है?
सोते समय शरीर आराम करता है और वोलंटरी मसल्स (स्वचालित मांसपेशियां) आपको नींद में खुद को चोट पहुंचाने से रोकती हैं। स्लीप पैरालिसिस के दौरान आप तब जाग सकते हैं, जब आपका शरीर आराम कर रहा होता है। यह जागने और सोने के बीच की स्थिति है और नार्कोलेप्सी जैसे अन्य नींद संबंधी विकारों को जन्म दे सकती है। यह स्थिति किशोरावस्था के दौरान शुरू होती है और 20-30 की उम्र में बहुत दिक्कत दे सकती है।
स्लीप पैरालिसिस के लक्षण क्या हैं?
स्लीप पैरालिसिस के सबसे आम लक्षण सक्रिय महसूस होने के बावजूद हिलने-डुलने या बोलने में असमर्थ होना है। इसके अलावा, आप इस स्थिति के दौरान अपनी छाती पर दबाव महसूस कर सकते हैं, सांस लेने में कठिनाई का अनुभव कर सकते हैं या आपको अधिक पसीना आ सकता है। इस वजह से मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, डर की भावना और ऐसा महसूस हो सकता है कि आप मरने वाले हैं।
स्लीप पैरालिसिस के कारण
जब नींद में शरीर का रैपिड आई मूवमेंट (REM) और मस्तिष्क का तालमेल नहीं हो पाता है, तब स्लीप पैरालिसिस हो सकता है। नार्कोलेप्सी, अनियमित नींद पैटर्न और अनुवांशिकता भी इस स्थिति को ट्रिगर कर सकता है। इसके अतिरिक्त, अनिद्रा, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर, डिप्रेशन, माइग्रेन, एंग्जायटी डिसऑर्डर और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां भी स्लीप पैरालिसिस का कारण बन सकते हैं।
इस स्थिति से बचाव के उपाय
अपनी स्लीप साइकिल को सुधारने की कोशिश करें। इस स्थिति से निपटने के लिए अपने तनाव को भी नियंत्रित रखें। सोने से पहले मोबाइल, लैपटॉप जैसे उपकरणों की ब्लू लाइट के संपर्क में आने से बचें और रोजाना कम से कम छह-आठ घंटे सोने की कोशिश करें। अपनी डाइट को ठीक रखें और रोजाना कुछ मिनट योग का अभ्यास करने समेत पीठ के बल सोने की बजाय करवट लेकर सोएं।